दिवाली (Diwali) के त्योहार पर तरह-तरह के पकवान बनाये जाते हैं. इनमें जिमीकंद (Jimikand) यानी सूरन (Suran) की सब्जी भी शामिल है. इस सब्जी को दिवाली की रात के भोजन में बनाये जाने की परंपरा है. जिस तरह से होली पर गुजिया, मकर संक्रांति पर खिचड़ी और ईद पर सेवई खाने की परंपरा है उसी तरह से दिवाली की रात जिमीकंद की सब्जी खाना दिवाली स्पेशल डिश (Diwali Special Dish) जिमीकंद (Jimikand) भी बेहद शुभ माना जता है।
ऐसी मान्यता है कि इस सब्जी को बनाने और खाने से घर में सुख समृद्धि और धन-संपदा बढ़ती है. जिमीकंद जड़ से काटने या निकाल लेने के बाद भी, उसी जड़ में फिर से उग आती है. इस वजह जिमीकंद की सब्जी को दिवाली के दौरान धन के भंडारण और बढ़ती हुई सुख-समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है. माना जाता है कि दिवाली की रात भोजन में जिमीकंद यानी सूरन की सब्जी खाने से घर में धन-संपदा और सुख-समृद्धि बढ़ती जाती है और ये कभी ख़त्म नहीं होती है।
जिमीकंद यानी सूरन एक जड़ है, जिसको सब्जी के तौर पर खाया जाता है. ये एक कंद के रूप में होती है और ये नॉर्मल तौर पर अपने आप ही उगती है. लेकिन जिमीकंद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होती है और ये कई तरह की दिक्कतों को कम करने में मदद करती है. इस वजह से पिछले कुछ वर्षों से इसकी खेती भी की जाने लगी है. इसका स्वाद कुछ-कुछ अरबी की तरह से होता है और इसको छीलने या कच्चा खाने से हाथों और गले में जलन हो सकती है. लेकिन दिवाली स्पेशल डिश (Diwali Special Dish) जिमीकंद (Jimikand) जब बनकर तैयार होती है तो ये खाने में बेहद टेस्टी होती है।
जिमीकंद की सब्जी दिवाली की रात तो परंपरागत (Diwali Special Jimikand) तौर पर बनायी ही जाती है. लेकिन इसको बहुत लोग नॉर्मल दिनों में भी खाना पसंद करते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि जिमीकंद में कई सारे पोषक तत्व होते हैं. जिसकी वजह से ये कई तरह की दिक्कतों को दूर करने में भी मदद करती है. जैसे रजोनिवृत्ति के लक्षणों से राहत देना, खून की कमी को दूर करना, डाइजेस्टिव एंजाइम्स को बढ़ाना, वजन कम करने में हेल्प करना और मेटाबॉल्जिम को बेहतर बनाने जैसी कई चीजें शामिल हैं।