बिहार में एक चुनौती है कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति; एक साल बाद भी नहीं बन सकी प्रदेश समिति

बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन में शामिल कांग्रेस अपनी पुरानी जमीन तलाशने का दावा भले कर रही हो, लेकिन हकीकत है कि अखिलेश सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बने करीब एक साल होने के बाद भी वे अब तक प्रदेश समिति की घोषणा नहीं कर सके हैं. हाल ही में छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता खो चुकी कांग्रेस के नेता बिहार में पार्टी को मजबूत करने की बात करते हैं.

अखिलेश सिंह ने पिछले साल 11 दिसंबर को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था. उस समय उन्होंने न केवल कांग्रेस की खोई जमीन वापस लाने के लिए कार्य करने का दावा करते हुए जल्द समिति बनाने का भी दावा किया था.

सिंह पार्टी में मतभेद के कारण समिति का गठन नहीं कर पा रहे हैं 

अखिलेश सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद युवा भी उत्साहित थे कि नई टीम में स्थान मिलेगा. माना जाता है कि सिंह पार्टी में मतभेद के कारण समिति का गठन नहीं कर पा रहे हैं. कहा जा रहा है कि अगर जल्द समिति का गठन नहीं किया गया तो फिर लोकसभा चुनाव के बाद ही समिति का गठन संभव होगा.

कांग्रेस कभी नहीं चाहेगी कि समिति के गठन के तुरंत बाद पार्टी चुनाव में उतरे. वैसे, सिंह कोई पहले अध्यक्ष नहीं हैं, जिसने प्रदेश समिति नहीं बनाई है. इससे पहले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने भी पार्टी में असंतोष के कारण ही प्रदेश समिति का गठन नहीं किया था.

इस बीच उन्होंने 2019 का लोकसभा और 2020 का विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव अभियान समिति बनाकर काम चला लिया था. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर प्रदेश अध्यक्ष सिंह प्रदेश समिति का गठन नहीं कर सके तो वो भी चुनाव अभियान समिति बनाकर चुनावी अखाड़े में उतर सकते हैं.

Rajkumar Raju: 5 years of news editing experience in VOB.
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