केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को ‘‘एक देश, एक चुनाव” को लागू करने संबंधी विधेयकों को मंजूरी दे दी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने एक साथ चुनाव कराने के संबंध में सिफारिशें की थीं, जिन्हें सितंबर में मंत्रिमंडल ने स्वीकार कर लिया था। ‘‘एक देश, एक चुनाव” पर उच्च स्तरीय समिति द्वारा की गई 10 मुख्य सिफारिशें इस तरह हैं।
1. सरकार को एक साथ चुनाव के चक्र को बहाल करने के लिए कानूनी रूप से स्वीकार्य तंत्र विकसित करना चाहिए।
2. पहले चरण में, लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं।
3. दूसरे चरण के तहत निकाय तथा पंचायत चुनाव, लोकसभा तथा विधानसभाओं चुनाव होने के बाद 100 दिन के भीतर कराए जाएं।
4. लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के उद्देश्य से किसी आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख को राष्ट्रपति द्वारा ‘नियत तिथि’ के रूप में अधिसूचित किया जाएगा।
5. ‘नियत तिथि’ के बाद और लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पहले चुनावों के माध्यम से गठित सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल केवल संसदीय चुनाव की अवधि तक के लिए होगा। इस एक बार के अस्थायी उपाय के बाद, सभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे।
6. सदन में बहुमत न होने या अविश्वास प्रस्ताव या इसी तरह की अन्य स्थिति में नयी लोकसभा के गठन के लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं।
7. अगर लोकसभा के लिए नए चुनाव होते हैं तो सदन का कार्यकाल ‘‘केवल शेष कार्यकाल तक का होगा।”
8. अगर राज्य विधानसभाओं के लिए नए चुनाव होते हैं तो ऐसी नई विधानसभाएं लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल के अंत तक जारी रहेंगी, बशर्तें उन्हें पहले ही भंग न कर दिया जाए।
9. निर्वाचन आयोग (ईसी) द्वारा राज्य निर्वाचन आयोगों के परामर्श से एक एकल मतदाता सूची और मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) तैयार किया जाएगा और यह निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार किसी अन्य मतदाता सूची का स्थान लेगा।
10. एक साथ चुनाव कराने के वास्ते रसद व्यवस्था करने के लिए, निर्वाचन आयोग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) जैसे उपकरणों की खरीद, मतदान कर्मियों और सुरक्षा बलों की तैनाती और अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं के लिए पहले से ही योजना और अग्रिम अनुमान तैयार कर सकता है। आई ही हूँ ये तो हूँ