पटना। राज्य के उच्च न्यायालय से लेकर निचली अदालतों में जजों के एक-चौथाई पद खाली पड़े हैं। हाईकोर्ट में जज के स्वीकृत पदों की संख्या 53 है, जिसमें 40 पद स्थाई और 13 अतिरिक्त पद शामिल हैं।
वर्तमान में इसमें 35 जज पदस्थापित हैं। इस तरह 18 पद खाली पड़े हैं। इसमें स्थाई पद में 5 और अतिरिक्त जज के 13 पद शामिल हैं। हाईकोर्ट को पिछले साल भी दो और इस वर्ष भी दो न्यायाधीश मिले हैं। बावजूद इसके 18 पद रिक्त पड़े हैं। विधि विभाग के स्तर से न्यायालयों में रिक्त पदों को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की गई है ताकि इन्हें भरने की कवायद शुरू की जा सके। इसके अतिरिक्त सभी निचली अदालतों में जज के स्वीकृत पदों की संख्या 2019 है। वर्तमान में इसमें 1536 जज हैं। इस तरह 483 पद रिक्त हैं। दोनों श्रेणी के कोर्ट के पदों को मिला दिया जाए, तो संख्या 2072 हो जाती है। हाईकोर्ट के 18 और निचली अदालतों के 483 पद को मिला खाली पदों की संख्या 501 हो जाती है। इस तरह एक चौथाई पद खाली हैं।
निचली अदालतों में प्रति जज 2344 मुकदमे
जज की संख्या कम होने से लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ रही है। इससे जज पर मुकदमों की निपटारे का दवाब बढ़ता जा रहा है। निचली अदालतों में औसतन एक जज पर 2344 केस के निपटारे का दायित्व है। जिला और अधीनस्थ अदालतों में 36 लाख से अधिक मुकदमे लंबित हैं। एक वर्ष में लंबित मुकदमों की औसतन संख्या करीब एक लाख बढ़ जाती है। मौजूदा जजों की संख्या के हिसाब से यह काफी अधिक है।