बादल आते हैं, मंडराते हैं, लेकिन बरसते नहीं हैं। किसानों को तरसाकर चले जाने वाले बादलों की बेरुखी का सीधा प्रभाव धान की खेती पर पड़ने लगा है। मौसम विभाग ने 18 जुलाई के बाद आगामी 6 दिनों तक बारिश नहीं होने का पूर्वानुमान जारी किया है। इससे धान की खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। अब तक सूबे में महज 36 फीसदी धान की रोपनी हुई है।
इसकी मुख्य वजह बारिश नहीं होना है। साथ ही कुछ स्थानों पर अचानक अत्याधिक बारिश होने की वजह से बिचड़ा का बह जाना है। इस वर्ष 1 जून से 17 जुलाई तक सामान्य से 34 फीसदी कम बारिश हुई है। इस अवधि तक 361 मिलीमीटर बारिश हो जानी चाहिए थी, लेकिन हुई महज 237 मिलीमीटर है। अगर सिर्फ 17 जुलाई की बात करें, तो इस दिन 12.5 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन हुई सिर्फ 1 एमएम, जो अनुमान से 92 फीसदी कम है। अगर जुलाई में भी बारिश नहीं हुई, तो कुछ इलाकों में सूखे जैसे हालात हो सकते हैं।
पिछले वर्ष के मुकाबले हालात बुरे नहीं
बारिश की मौजूदा कमी के बावजूद इसकी तुलना पिछले वर्ष से करें, तो हालात बहुत बुरे नहीं हैं। पिछले वर्ष यानि 2022 में 1 जून से 17 जुलाई तक सामान्य से 46 फीसदी कम बारिश हुई थी। इस वर्ष सामान्य से 34 फीसदी ही कम बारिश दर्ज की गई है। हालांकि सिर्फ जून की बात करें, तो स्थिति अलग है। पिछले वर्ष जून में सामान्य से 6 फीसदी अधिक बारिश हुई थी। जबकि इस वर्ष जून में सामान्य से 48 फीसदी कम बारिश हुई है।