सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में दिल, दिमाग और किडनी के इलाज का सपना तो तीन सितंबर से पूरा होने जा रहा है। लेकिन इलाज कराने के बाद डॉक्टर जो दवा-इंजेक्शन आदि लिखेंगे, उसे मरीजों को बाहर निजी दवा की दुकानों से खरीदनी होगी। बड़ी बात ये है कि जहां पर ये सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल संचालित हैं, वहां से आधे किमी दूरी पर निजी दवा की दुकानें संचालित हैं। ऐसे में मरीजों को दवा खरीद के लिए जेब ढीली करने के साथ-साथ लंबी दूरी की दौड़ भी लगानी होगी। जबकि इस विशेषज्ञ हॉस्पिटल में जो भी मरीज इलाज को आएंगे, उनका दो-चार कदम चलना भी दूभर होगा। बड़ी बात ये कि इसका एहसास हॉस्पिटल के जिम्मेदारों को है, लेकिन वे पटना से आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
छह सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा माउंट कार्मेल स्कूल के पूरब स्थित 200 करोड़ की लागत वाले 200 बेड की क्षमता वाले सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल का उद्घाटन करने जा रहे हैं। जिस उद्देश्य के तहत इस हॉस्पिटल का निर्माण किया गया है, अगर ये पूरी तरह से संचालित होने लगे तो न केवल बुजुर्गावस्था में होने वाली बीमारी बल्कि दिल, दिमाग और किडनी का भी इलाज हो सकेगा। पेसमेकर, एंजियोप्लास्टी, हार्ट सर्जरी, किडनी ट्रांसप्लांट, ब्रेन सर्जरी, स्पाइनल सर्जरी से लेकर प्लास्टिक सर्जरी तक की जा सकेगी। लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण उद्घाटन से तीन दिन पहले यानी तीन सितंबर से इस हॉस्पिटल भवन के पहले तल पर बने ओपीडी में दिल (कॉर्डियोलॉजी), दिमाग (न्यूरोलॉजी), किडनी (नेफ्रोलॉजी) व प्लास्टिक सर्जरी के ओपीडी ही शुरू हो सकेगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां पर पहले ही दिन 350 से 400 मरीज इलाज के लिए आएंगे। अगर एक मरीज पर 500 रुपये की दवा का खर्च जोड़ें तो पता चलता है कि 175000 से लेकर दो लाख रुपये की दवा मरीजों को अपनी जेब से खरीदनी पड़ेगी।
सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में दिल, दिमाग और किडनी के इलाज का सपना तो तीन सितंबर से पूरा होने जा रहा है। लेकिन इलाज कराने के बाद डॉक्टर जो दवा-इंजेक्शन आदि लिखेंगे, उसे मरीजों को बाहर निजी दवा की दुकानों से खरीदनी होगी। बड़ी बात ये है कि जहां पर ये सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल संचालित हैं, वहां से आधे किमी दूरी पर निजी दवा की दुकानें संचालित हैं। ऐसे में मरीजों को दवा खरीद के लिए जेब ढीली करने के साथ-साथ लंबी दूरी की दौड़ भी लगानी होगी। जबकि इस विशेषज्ञ हॉस्पिटल में जो भी मरीज इलाज को आएंगे, उनका दो-चार कदम चलना भी दूभर होगा। बड़ी बात ये कि इसका एहसास हॉस्पिटल के जिम्मेदारों को है, लेकिन वे पटना से आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
छह सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा माउंट कार्मेल स्कूल के पूरब स्थित 200 करोड़ की लागत वाले 200 बेड की क्षमता वाले सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल का उद्घाटन करने जा रहे हैं। जिस उद्देश्य के तहत इस हॉस्पिटल का निर्माण किया गया है, अगर ये पूरी तरह से संचालित होने लगे तो न केवल बुजुर्गावस्था में होने वाली बीमारी बल्कि दिल, दिमाग और किडनी का भी इलाज हो सकेगा। पेसमेकर, एंजियोप्लास्टी, हार्ट सर्जरी, किडनी ट्रांसप्लांट, ब्रेन सर्जरी, स्पाइनल सर्जरी से लेकर प्लास्टिक सर्जरी तक की जा सकेगी। लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण उद्घाटन से तीन दिन पहले यानी तीन सितंबर से इस हॉस्पिटल भवन के पहले तल पर बने ओपीडी में दिल (कॉर्डियोलॉजी), दिमाग (न्यूरोलॉजी), किडनी (नेफ्रोलॉजी) व प्लास्टिक सर्जरी के ओपीडी ही शुरू हो सकेगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां पर पहले ही दिन 350 से 400 मरीज इलाज के लिए आएंगे। अगर एक मरीज पर 500 रुपये की दवा का खर्च जोड़ें तो पता चलता है कि 175000 से लेकर दो लाख रुपये की दवा मरीजों को अपनी जेब से खरीदनी पड़ेगी।