हजारों बलूच नागरिकों के आंदोलन से पाकिस्तान हिल गया है। बलूच महिलाओं ने बलूचिस्तान के नागरिकों के अपहरण, हत्या और हिंसा के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोल रखा है। महिलाओं ने 1600 किलोमीटर का पैदल मार्च करके पाकिस्तान सरकार की नाक में दम कर दिया है। पाकिस्तान के इतिहास में यह पहला सबसे बड़ा महिला आंदोलन है। इस आंदोलन से पाकिस्तान सरकार की हालत खराब हो गई है। आंदोलन को रोकने के लिए पाकिस्तान पुलिस ने काफी गिरफ्तारियां भी की हैं। मगर बलूचों के दबाव में अब उनकी रिहाई भी करनी पड़ रही है। पाकिस्तानी पुलिस ने सोमवार को 290 बलूच कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया, जिन्हें पिछले हफ्ते राजधानी इस्लामाबाद में विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश के दौरान गिरफ्तार किया गया था।
इन नागरिकों की रिहाई, अधिकारियों को हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करने की समय सीमा देने के कुछ दिनों बाद हुई। कार्यकर्ता उग्रवाद से प्रभावित दक्षिण पश्चिम प्रांत में जबरन गायब किए जाने और न्यायेतर हत्याओं का विरोध करने के लिए बृहस्पतिवार को बलूचिस्तान प्रांत के एक शहर तुरबत से 1,600 किलोमीटर की यात्रा कर यहां पहुंचे थे। प्रदर्शनकारियों में अधिकतर महिलाएं थीं और कुछ लोग अपने सात से 12 साल के बच्चों को भी साथ लाए थे। सुरक्षा बलों ने उन्हें तितर-बितर करने और गिरफ्तार करने के लिए उन पर लाठियां भांजीं और पानी की बौछार की। वे 24 वर्षीय बालाच मोला बख्श के मामले पर ध्यान आकर्षित करना चाहते थे, जिनकी नवंबर में बलूचिस्तान में पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी।
पुलिस ने कहा उग्रवादी हमले में हुई मोला बख्श की मौत
अधिकारियों ने कहा कि उग्रवादियों द्वारा उन्हें (मोला बख्श) ले जा रहे पुलिस वाहन पर घात लगाकर हमला करने के बाद उनकी मौत हो गई। पुलिस ने कहा कि जब बख्श को गिरफ्तार किया गया तो वह विस्फोटक ले जा रहा था। उनके परिवार का कहना है कि वह निर्दोष था और वे उसके लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उसे (बख्श को) अक्टूबर से हिरासत में रखा गया था। पुलिस ने कहा कि उन्होंने उसे नवंबर में गिरफ्तार किया था। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस के बल प्रयोग से बलूचिस्तान के निवासियों में गुस्सा है और शीर्ष मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने देश भर में इसकी निंदा की।