बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता खत्म होने के बाद भारत सरकार के सामने पांच बड़ी चुनौतियां आ खड़ी हुई हैं। पिछले 15 सालों से शेख हसीना भारत की मजबूत दोस्त और सहयोगी थीं, हसीना के कार्यकाल में भारत और बांग्लादेश के रिश्ते बेहद मजबूत रहे। चाहे दोनों देशों के बीच व्यापार की बात हो या सुरक्षा के मामले सहयोग की बात हो, दोनों देशों के बीच करीबी संबंध देखने को मिले हैं। इस दौरान दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंध भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचे। लेकिन शेख हसीना के बांग्लादेश की सत्ता से बाहर होने के बाद दिल्ली की चुनौतियां बढ़ गई हैं।
शेख हसीना के खिलाफ सड़कों पर उतरे जनसैलाब में भारत विरोधी तत्वों और पार्टियों की भी हिस्सेदारी थी। शेख हसीना को बांग्लादेश में भारत का समर्थक माना जाता था, ऐसी स्थिति में भारत को विदेश नीति के मोर्चे पर बांग्लादेश के मामले में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
अंतरिम सरकार का स्वरूप
शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश के आर्मी चीफ वकार उज जमान ने कमान संभाल ली है। जमान ने अंतरिम सरकार के गठन की बात की है और सभी राजनीतिक पार्टियों के सहयोग की बात कही है। हालांकि अंतरिम सरकार का स्वरूप क्या होगा। इसका खुलासा नहीं हो पाया है। दरअसल अंतरिम सरकार का स्वरूप ही बांग्लादेश में आगे की राजनीति की दशा और दिशा तय करेगा। जाहिर है कि इसका प्रभाव भारत पर भी पड़ेगा।
शेख हसीना पर निर्भरता
पिछले 15 सालों में भारत ने शेख हसीना का खुलकर समर्थन किया। जाहिर है कि बांग्लादेश की विपक्षी पार्टियों के साथ दिल्ली का संबंध बहुत ज्यादा नहीं रहा। बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति में भारत के खिलाफ माहौल है। देखना होगा कि मोदी 3.0 सरकार इस स्थिति का सामना कैसे करती है।
ढाका से आवागमन पर पड़ेगा असर
ढाका में आने वाली सरकार भारत के साथ आवागमन और अन्य मामलों पर पुर्नविचार कर सकती है। नॉर्थ ईस्ट में बेहतर सप्लाई के लिए भारत को बांग्लादेश के सहयोग की जरूरत पड़ती है। इसलिए भारत को ढाका की अंतरिम सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा।
बांग्लादेश में जमात और पाकिस्तान फैक्टर
माना जा रहा है कि ढाका की अंतरिम सरकार में जमात ए इस्लामी का प्रभाव देखा जा सकता है। खबरों के मुताबिक जमात के कार्यकर्ताओं ने हसीना के खिलाफ प्रदर्शन में बढ़ चढ़ हिस्सा लिया। वहीं जमात के साथ भारत का रिश्ता बहुत अच्छा नहीं रहा है। वहीं जमात, बांग्लादेश की राजनीति में पाकिस्तान के लौटने के रास्ते खोल सकता है, जबकि हसीना ने बांग्लादेश की राजनीति में पाकिस्तान को कभी घुसने नहीं दिया। अगर ढाका में पाकिस्तान का दखल बढ़ता है तो भारत को पूर्वी सीमा पर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
चीन की चुनौती
भारत का सबसे बड़ा दुश्मन लंबे समय से बांग्लादेश में अपनी पकड़ मजबूत करने की फिराक में है। उसने बांग्लादेश में भारी निवेश किया है और इसी के दम पर वह बांग्लादेश की अगली सरकार के साथ डील करेगा। बांग्लादेश में चीन का मजबूत होना भारत के लिए परेशानियां खड़ी करेगा।
भारत अब ऐसे पड़ोसियों से घिर गया है, जो सियासी उथल पुथल का सामना कर रहे हैं। पश्चिम और उत्तर में भारत को पाकिस्तान और चीन का सामना करना है। नेपाल में एक कम्युनिस्ट सरकार सत्ता में है। दूर पश्चिम में अफगानिस्तान में तालिबान का राज है। हिंद महासागर में मालदीव की चुनौती है, जिसका भारत विरोधी स्टैंड जगजाहिर है, और अब बांग्लादेश में भारत विरोधी माहौल बन गया है। जाहिर है कि ये भारत के लिए अच्छी स्थिति नहीं है।