सामान्य तौर पर बच्चे 17 साल की उम्र तक स्कूल खत्म कर लेते हैं और 22-23 साल की उम्र तक कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर लेते हैं, लेकिन आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे असाधारण बच्चे की जिसने अपनी प्रतिभा और जुनून की बदौलत कम उम्र में ही एक नया रिकॉर्ड बना डाला।
हम बात कर रहे हैं प्रतिभाशाली बच्चे निर्भय ठाकर के बारे में, जिन्होंने कुछ साल पहले ही सभी को चौका दिया था, क्योंकि उन्हें स्कूल में टीचर्स द्वारा एक कमजोर छात्र के रूप में टैग किया गया था।
निर्भय सीखने में बहुत तेज हैं. उन्होंने बहुत कम समय में ही पढ़ाई कर ली. उन्होंने 8वीं से 10वीं कक्षा सिर्फ छह महीने में पूरी कर लीं और फिर 11वीं और 12वीं पास करने में सिर्फ 3 महीने लगे (वर्ष 2015-16). इस तरह वह 13 साल की उम्र में ही हाईस्कूल पास कर पाए. निर्भय के इंजीनियर पिता और एक डॉक्टर मां, ने निश्चित रूप से उसकी इस प्रतिभा को निखारने में मदद की।
एक इंटरव्यू में निर्भय ने अपनी पढ़ाई के बारे में बताया. उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि अगर आप जो पढ़ रहे हैं उसे समझते हैं तो आप कोई भी परीक्षा पास कर सकते हैं. रट्टा लगाकर सीखने से कोई फायदा नहीं होता. इसी तरह मैंने अपनी स्कूल और जूनियर कॉलेज की पढ़ाई पूरी की. मैं छठी क्लास तक सीबीएसई स्कूल में था, लेकिन वहां छठी कक्षा पास करने से पहले किसी प्रतियोगिता में शामिल होने की अनुमति नहीं थी. इसलिए, मैंने स्कूल बदलने का फैसला किया. मैंने एक प्राइवेट स्कूल स्टूडेंट के रूप में IGCSE स्कूल में दाखिला लिया. इस वजह से मैं एक साल में ही पांच क्लास पास कर सका।
निर्भय की तो बात ही अलग है. उसकी उपलब्धियों का सिलसिला यहीं नहीं रुका. साल 2018 में सिर्फ 15 साल की उम्र में वो गुजरात के सबसे कम उम्र के इंजीनियर बन गए. उन्होंने गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (GTU) से सिर्फ एक साल में ही चार साल की इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी कर ली. उन्होंने जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम (मेन) भी पास किया था जिसमें उन्हें 360 में से 75 नंबर मिले थे।
निर्भय को यहीं रुकना पसंद नहीं था. उन्होंने ठान लिया कि वो और भी डिग्रियां हासिल करेंगे. निर्भय का लक्ष्य तीन साल में 10 इंजीनियरिंग की डिग्रियां हासिल करना था. उसने चार साल में इंजीनियरिंग की सभी पांचों शाखाओं – इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, कंप्यूटर, इंस्ट्रूमेंटेशन एंड ऑटोमेशन और केमिकल को पास करने का लक्ष्य भी रखा।
निर्भय यहीं नहीं रुके. इसके बाद उन्होंने रिसर्च और प्रोडक्ट बनाने के लिए प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), गांधीनगर ज्वाइन किया. उसका लक्ष्य रक्षा क्षेत्र में नई टेक्नॉलॉजी पर काम करना है. 10 इंजीनियरिंग डिग्रियों के अलावा, वो पीएचडी करने की भी ख्वाहिश रखते हैं. वर्ल्ड एजुकेशन कांग्रेस ने उन्हें यंग अचीवर अवार्ड से सम्मानित किया है।