सिपाही प्रशिक्षण केंद्र, नाथनगर में शनिवार को 1242 प्रशिक्षु सिपाहियों की पासिंग आउट परेड हुई। कुल 11 महीने के कड़े प्रशिक्षण के बाद ये लोग इस स्टेज पर पहुंचे हैं। इस अवसर पर रेंज डीआईजी विवेकानंद और एसएसपी आनंद कुमार ने पहुंचकर सिपाहियों का हौसलाअफजाई की। साथ ही 16 प्लाटून की पासिंग आउट परेड का सीटीएस की जिप्सी से घूमकर निरीक्षण किया। मौके पर डीआईजी ने कहा कि किसी भी पुलिसकर्मी के जीवन में यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। जब वे देश की सेवा के लिए निकलते हैं।
कुल 16 प्लाटून में 1243 सिपाहियों ने प्रशिक्षण का कार्य बेहतरी से पूरा किया है। उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं। आपकी नियुक्ति बिहार पुलिस में आज सफल तरीके से हो गई है। अब आप अलग-अलग जिलों में योगदान देने जायेंगे। डीआईजी ने सभी प्रशिक्षुओं को कर्तव्यनिष्ठता की शपथ दिलाई। कहा- शपथ जो आपने ली है, उसकी एक-एक पंक्ति आपके जीवन को प्रेरित करेगी। पुलिस की छवि ऐसी होनी चाहिए की जिस भूमिका में वह काम करे, पूरी ईमानदारी से करे। जब अपने कर्तव्यों का आप अनुपालन वफादारी से करेंगे तो निश्चित रूप से समाज से कुरीतियां समाप्त होंगी। पीड़ित की सेवा व सुरक्षा के लिए हमेशा कर्तव्यनिष्ठता रखें। बिना भय के काम करें। तभी मन में तसल्ली होगी।
ईमानदारी के साथ कर्तव्यों का पालन करेंगे तो परिवार समाज के साथ-साथ पूरे देश को भी आप गौरान्वित करेंगे। मौके पर सीटीएस प्राचार्य एसपी मिथिलेश कुमार, इंस्पेक्टर प्रवीन झा सहित कई पुलिसकर्मी मौजूद थे।
विधवा मां की आंखों से छलके आंसू, कहा- पति की मौत ने कर दिया था अकेला
नालंदा जिले के इस्लामपुर गांव से आई वृद्ध मां मालती देवी ने बताया कि उनके पति की मौत कोरोना काल के दौरान हो गई थी। उनका बड़ा लड़का प्राइवेट नौकरी करता है। पति की मौत के बाद उनके जीने की इच्छा खत्म हो गई थी। घर के सदस्यों के परवारिश की जिम्मेदारी बड़े बेटे सुनील कुमार राज पर ही थी। छोटा बेटा रणवीर कुमार जो अभी बिहार पुलिस का जवान बना। उसकी पढ़ाई लिखाई सारी जिम्मेदारी उसके बड़े भाई ने ही निभाई है। आज बेटे की नौकरी होने से पूरे परिवार के लोग खुश हैं। बच्चे ने मेहनत करके सरकारी नौकरी पायी है। इस माहौल में आकर बहुत गर्व महसूस हो रहा है।
वहीं राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ से सिपाही में सफलता प्राप्त किए सुमंत कुमार के बड़े भाई सुमन कुमार इस क्षण बेहद भावुक दिखे। छोटे भाई सुमंत ने अपनी सिर की टोपी खोलकर बड़े भाई के सिर पर लगाई और उन्हें सैल्यूट कर उनके पांव छुए। सुमंत ने बताया कि आज वे जो भी मुकाम पर पहुंचे हैं। ये उनके बड़े भाई के ही सहयोग से संभव हो पाया है।