काराकाट लोकसभा सीट पर लड़ाई बहुत ही दिलचस्प हो गई है. इस सीट पर एनडीए की ओर से राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा का मुकाबला सीपीआई माले के राजाराम सिंह कुशवाहा से हुआ है. हालांकि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के पावर स्टार पवन सिंह ने लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है. तमाम एग्जिट पोल में भी काराकाट की सीट पर पेंच फंसा हुआ बताया जा रहा है. हालांकि बढ़त सीपीआई माले कैंडिडेट को मिलती दिख रही है।
2024 में वोट प्रतिशत बढ़ा: काराकाट लोकसभा सीट पर भी 1 जून को शांतिपूर्ण तरीके से वोटिंग संपन्न हो गई है. वहां कुल 53.44 फीसदी वोटिंग हुई. 2019 लोकसभा चुनाव में 49.09 % वोट पड़े थे. 2019 की तुलना की जाए तो 2024 में 4.35% ज्यादा मतदान हुआ है. यही कारण है कि इस लोकसभा क्षेत्र को लेकर लोगों में उत्सुकता बनी हुई है कि बढ़े हुए वोट प्रतिशत का लाभ किसको मिलता है।
काराकाट में त्रिकोणीय मुकाबला: काराकाट सीट पर भोजपुरी पावर स्टार पवन सिंह की एंट्री के पहले कुशवाहा बनाम कुशवाहा की ही लड़ाई थी, लेकिन पवन सिंह के चुनाव लड़ने के कारण काराकाट के सारे सियासी समीकरण उलट-पलट गये हैं. चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह युवाओं का हुजूम पवन सिंह के समर्थन में उमड़ता दिखा, उससे एनडीए के उपेंद्र कुशवाहा और महागठबंधन के राजाराम कुशवाहा के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है।
मतदाताओं की कुल संख्या?: 2024 के लोकसभा चुनाव में काराकाट लोकसभा सीट में कुल मतदाताओं की संख्या 18 लाख 79 हजार 11 है. जिनमें पुरुष मतदाताओं की 9 लाख 78 हजार 687 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 9 लाख 254 है और थर्ड जेंडर के भी 70 मतदाता हैं।
काराकाट सीट का सफरनामा: काराकाट लोकसभा सीट को कुशवाहा का किला कहा जाता है. 2009 से हुए अभी तक तीन चुनावों में कुशवाहा जाति के प्रत्याशी की जीत होती रही है. 2009 में जहां जेडीयू के महाबली सिंह ने आरजेडी की कांति सिंह को हराया तो 2014 में आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू के महाबली सिंह को पटखनी दी. 2019 में फिर महाबली सिंह और उपेंद्र कुशवाहा आमने-सामने थे, जिसमें महाबली सिंह की जीत हुई।
6 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन का कब्जा: काराकाट लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा सीट है. जिसमें तीन नोखा, डेहरी और काराकाट विधानसभा सीट रोहतास जिले में है, जबकि गोह, ओबरा और नबीनगर विधानसभा सीट औरंगाबाद जिले में है. इन सभी 6 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है. नोखा, डेहरी, गोह, ओबरा और नबीनगर से आरजेडी के विधायक हैं, जबकि काराकाट विधानसभा सीट पर सीपीआईएमएल का कब्जा है।
क्या कहते हैं जानकार?: राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार का कहना है उपेंद्र कुशवाहा की गिनती कुशवाहा समाज के बड़े नेता के रूप में की जाती है. शुरू में कुशवाहा और राजाराम सिंह के बीच लड़ाई होती दिख रही थी लेकिन पवन सिंह की एंट्री के बाद वहां का राजनीतिक माहौल बदल गया. काराकाट लोक सभा क्षेत्र में 2 लाख से अधिक राजपूत वोटरों की आबादी है, जिसका झुकाव पवन सिंह के प्रति दिख रहा था. वहीं कुर्मी और कुशवाहा वोटरों की संख्या ढाई लाख के करीब है, जो दो भागों में बंटी हुई दिख रही थी. ऐसे में सीपीआई माले को थोड़ी बढ़त मिल सकती है।
“राजपूत वोटरों के अलावा भी अन्य जातियों का वोट पवन सिंह को मिला है. कुशवाहा वोटरों में बंटवारा साफ देखने को मिला है लेकिन महिला वोटरों का झुकाव शुरू से ही एनडीए के प्रति होता रहा है. इसीलिए काराकट की लड़ाई इस बार फंसी हुई दिख रही है. हालांकि इस बार माले के राजाराम सिंह कुशवाहा को आरजेडी के ‘माय’ समीकरण साथ मिला है. इसके अलावे कुशवाहा वोटरों का भी झुकाव उनकी तरफ होने के कारण इस बार के चुनाव में उनका पलड़ा भारी दिख रहा है.”- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक