‘बिहार में शराब पीकर लोग मरे नहीं, उनकी हत्या की गई’- तेजस्वी यादव का नीतीश सरकार पर तीखा हमला

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बिहार में कथित रूप से जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. बुधवार 16 अक्टूबर से अबतक 29 लोगों की जान जा चुकी है. इसके अलावे दर्जनों लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है. सिवान में 20 और छपरा में 5 लोगों की मौत की प्रशासन ने पुष्टि की है. जहरीली शराब से मौत के बाद राजनीति गरमा गयी है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शराबबंदी पर सवाल उठाते हुए कहा कि ‘बिहार में शराब पीकर लोग मरे नहीं उनकी हत्या की गई है’.

जमुई में कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रमः नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव गुरुवार 17 अक्टूबर को कार्यकर्ता दर्शन सह संवाद यात्रा के तहत जमुई पहुंचे थे. जमुई में उन्होंने कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. लोकसभा चुनाव में साथ देने के लिए उनका आभार जताया. साथ ही कार्यकर्ताओं को आनेवाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा. बूथ लेवल तक कार्यकार्ताओं को तैयार करने का निर्देश दिया. जमुई पहुंचे तेजस्वी यादव ने परिसदन में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए शराब से हुई मौत को लेकर बिहार सरकार पर गंभीर आरोप लगाये.

“बिहार में शराबबंदी लागू हुए वर्षों बीत गए लेकिन कहां लगी है शराब पर पाबंदी. आज भी आसानी से शराब बाहर से लायी जा रही है, बनायी जा रही है, तभी तो लोग शराब पी रहे हैं, और लगातार मौत की घटनाएं हो रही हैं. सत्ता संरक्षण में सबकुछ हो रहा है. कई जगह तो जनता दल यूनाइटेड के कार्यकर्ता शराब बेचते हुए पकड़े गए हैं. इसलिए, आज तक न तो माफिया पर कारवाई हुई है और न ही किसी बडे़ अधिकारी पर कार्रवाई हुई है.”– तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष

सोशल मीडिया पर सरकार से पूछे सवालः तेजस्वी प्रसाद यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके सिवान एवं छपरा में में हुई 27 लोगों की मौत के लिए बिहार सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. तेजस्वी यादव ने अपने पोस्ट में लिखा है कि-“इतने लोग मारे गए, लेकिन मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने शोक-संवेदना तक व्यक्त नहीं की. जहरीली शराब से, अपराध से प्रतिदिन सैकड़ों बिहारवासी मारे जाते हैं लेकिन अनैतिक और सिद्धांतहीन राजनीति के पुरोधा मुख्यमंत्री और उनकी किचन कैबिनेट के लिए यह सामान्य बात है.”

अधिकारियों की कार्यशैली पर उठाए सवालःतेजस्वी यादव ने सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि कितने भी लोग मारे जाए लेकिन मजाल है किसी वरीय अधिकारी पर कोई कारवाई हो? इसके विपरीत उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा? अगर शराबबंदी के बावजूद हर चौक-चौराहे व नुक्कड़ पर शराब उपलब्ध है तो क्या यह गृह विभाग और मुख्यमंत्री की विफलता नहीं है? क्या CM ऐसी घटनाओं पर एक्शन लेने व सोचने में सक्षम और समर्थ हैं? इन हत्याओं का दोषी कौन?