जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) ने शनिवार को केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) की उस टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की, जिसमें मांझी ने नवगठित राजनीतिक पार्टी पर बिहार की चार विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में मतदाताओं को रिश्वत देने का आरोप लगाया है।
“जन सुराज के लोग फॉर्म पर हस्ताक्षर करवा रहे”- मांझी
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने शुक्रवार शाम इमामगंज में एक रैली के दौरान जन सुराज पर यह आरोप लगाया था। इमामगंज सीट मांझी के लोकसभा में निर्वाचित होने के बाद रिक्त हुई है और इस सीट से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा की टिकट पर उनकी पुत्रवधू दीपा चुनाव मैदान में हैं। मांझी ने कहा था, ‘‘जन सुराज के लोग उपचुनाव में पार्टी को समर्थन देने के लिए लोगों से फॉर्म पर हस्ताक्षर करवा रहे हैं। मतदाताओं से वादा किया गया है कि जन सुराज उम्मीदवार की जीत पर उन्हें एक-एक लाख रुपये नकद दिया जाएगा।” तरारी में चुनाव प्रचार कर रहे किशोर से जब इस आरोप के बारे में पूछा गया तो उन्होंने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘क्या मांझी को पता है कि वह क्या कह रहे हैं? हर विधानसभा क्षेत्र में करीब दो लाख मतदाता हैं। अगर हम उनमें से प्रत्येक को एक लाख रुपये देने का वादा कर रहे हैं, तो आप हिसाब लगा सकते हैं कि कुल कितनी रकम बनती है।”
किशोर ने कहा, ‘‘अगर मांझी को यकीन है कि हमारे पास इतने बड़े पैमाने पर पैसा है, तो केंद्रीय मंत्री होने के नाते उन्हें हमारे पीछे ईडी और सीबीआई लगा देनी चाहिए। उन्हें निर्वाचन आयोग का भी ध्यान आकर्षित करना चाहिए।” किशोर ने दावा किया कि 80 वर्षीय मांझी ‘‘मानसिक संतुलन खो बैठे हैं” क्योंकि उन्हें एहसास हो गया है कि इमामगंज में असली लड़ाई राजद और जन सुराज के बीच है।