17 सितंबर से शुरू होगा पितृपक्ष मेला, जानिए क्या है इसके पीछे की मान्यता?
पटना: बिहार के गया में 17 सितम्बर से 3 अक्टूबर तक पितृपक्ष मेला लगेगा. इसको लेकर प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है. हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक पितृपक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है. यह पर्व हर वर्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है और अमावस्या तक चलता है. इस सोलह दिनों की अवधि में हिन्दू धर्मावलंबी अपने पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए विशेष अनुष्ठान, तर्पण, और पिंडदान करते हैं.
वैदिक और पौराणिक संदर्भ
पितृपक्ष का उल्लेख हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रंथों, जैसे कि वेद, उपनिषद, और पुराणों में व्यापक रूप से मिलता है. ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद में पितरों के लिए समर्पित मंत्रों और प्रार्थनाओं का उल्लेख किया गया है. ऋग्वेद के निम्नलिखित मंत्र में पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट की गई है: “स्वधा नमस्तार्पणीयाय पूर्वज्यैस्ते नमः पितरः स्वधाया.” इसका अर्थ है, “हे पितरों, आपको हमारा नमस्कार है. आप सभी पितरों के लिए हम यह तर्पण समर्पित करते हैं.”
यजुर्वेद में पितरों की तृप्ति के लिए विशेष मंत्र उच्चारित किए गए हैं, जो दर्शाते हैं कि पितरों के प्रति श्रद्धा भाव वैदिक धर्म का अभिन्न हिस्सा रहा है. ये मंत्र और अनुष्ठान पितरों की आत्मा की शांति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं. गरुड़ पुराण में पितृऋण के महत्व का वर्णन मिलता है. इस पुराण में कहा गया है कि पितृऋण से मुक्ति पाने के लिए श्राद्ध, तर्पण, और पिंडदान अत्यंत आवश्यक हैं. जो व्यक्ति अपने पितरों का उचित प्रकार से श्राद्ध नहीं करता, उसे जीवन में अनेक प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है.
पितृपक्ष और श्राद्ध की प्रक्रिया
पितृपक्ष के दौरान हिन्दू धर्मावलंबी पिंडदान, तर्पण, और श्राद्ध कर्म करते हैं. ये अनुष्ठान पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए किए जाते हैं और इनका धार्मिक महत्व अत्यधिक है। श्राद्ध में मुख्यतः तीन प्रकार के कार्य शामिल होते हैं.
पिंडदान: पिंडदान के समय, चावल, जौ, तिल, और गाय के दूध से बने पिंड (गोल आकार के खाद्य पदार्थ) को पितरों की आत्मा के निमित्त अर्पित किया जाता है.
तर्पण: तर्पण का अर्थ होता है जल अर्पित करना. यह जल अर्पण पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए किया जाता है। तर्पण के दौरान, हाथ जोड़कर जल को तिल, कुशा, और जौ के साथ मिलाकर पितरों को अर्पित किया जाता है. इस प्रक्रिया के द्वारा पितरों को संतोष प्राप्त होता है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
श्राद्ध भोज: श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराने की परंपरा है। यह भोजन पितरों के निमित्त अर्पित किया जाता है और इसका उद्देश्य पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति है। यह माना जाता है कि इस भोजन को पितर स्वयं ग्रहण करते हैं, जिससे उनकी आत्मा संतुष्ट होती है.
पितृ पक्ष के श्राद्ध की 16 तिथियां
पूर्णिमा श्राद्ध: 17 सितम्बर, मंगलवार
भाद्रपद पूर्णिमा तिथि: 17 सितम्बर को 11:44 एएम से 18 सितम्बर को 08:04 एएम तक
प्रतिपदा श्राद्ध: 18 सितम्बर, बुधवार
आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि: 18 सितम्बर को 08:04 एएम से 19 सितम्बर को 04:19 एएम तक
द्वितीया श्राद्ध: 19 सितम्बर, गुरुवार
आश्विन कृष्ण द्वितीया तिथि: 19 सितम्बर को 04:19 एएम से 20 सितम्बर को 12:39 एएम तक
तृतीया श्राद्ध: 20 सितम्बर, शुक्रवार
आश्विन कृष्ण तृतीया तिथि: 20 सितम्बर को 12:39 एएम से 09:15 पीएम तक
चतुर्थी श्राद्ध, महाभरणी: 21 सितम्बर, शनिवार
आश्विन कृष्ण चतुर्थी तिथि: 20 सितम्बर को 09:15 पीएम से 21 सितम्बर को 6:13 पीएम तक
पंचमी श्राद्ध: 22 सितम्बर, रविवार
आश्विन कृष्ण पंचमी तिथि: 21 सितम्बर को 6:13 पीएम से 22 सितम्बर को 03:43 पीएम तक
षष्ठी श्राद्ध और सप्तमी श्राद्ध: 23 सितम्बर, सोमवार
आश्विन कृष्ण षष्ठी तिथि: 22 सितम्बर को 03:43 पीएम से 23 सितम्बर को 01:50 पीएम तक
अष्टमी श्राद्ध: 24 सितम्बर, मंगलवार
आश्विन कृष्ण सप्तमी तिथि: 23 सितम्बर को 01:50 से 24 सितम्बर को 12:38 पीएम तक
आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि: 24 सितम्बर को 12:38 पीएम से 25 सितम्बर को 12:10 पीएम तक
नवमी श्राद्ध, मातृ नवमी: 25 सितम्बर, बुधवार
आश्विन कृष्ण नवमी तिथि: 25 सितम्बर को 12:10 पीएम से 26 सितम्बर को 12:25 पीएम तक
दशमी श्राद्ध: 26 सितम्बर, गुरुवार
आश्विन कृष्ण दशमी तिथि: 26 सितम्बर को 12:25 पीएम से 27 सितम्बर को 01:20 पीएम तक
एकादशी श्राद्ध: 27 सितम्बर, शुक्रवार
आश्विन कृष्ण एकादशी तिथि: 27 सितम्बर को 01:20 पीएम से 28 सितम्बर को 02:49 पीएम तक
द्वादशी श्राद्ध, मघा श्राद्ध: 29 सितम्बर, रविवार
आश्विन कृष्ण द्वादशी तिथि: 28 सितम्बर को 02:49 पीएम से 29 सितम्बर को 04:47 पीएम तक
त्रयोदशी श्राद्ध: 30 सितम्बर, सोमवार
आश्विन कृष्ण त्रयोदशी तिथि: 29 सितम्बर को 04:47 पीएम से 30 सितम्बर को 07:06 पीएम तक
चतुर्दशी श्राद्ध: 1 अक्टूबर, मंगलवार
आश्विन कृष्ण चतुर्दशी तिथि: 30 सितम्बर को 07:06 पीएम से 01 अक्टूबर को 09:39 पीएम तक
सर्व पितृ अमावस्या, अमावस्या श्राद्ध: 2 अक्टूबर, बुधवार
आश्विन कृष्ण अमावस्या तिथि: 01 अक्टूबर को 09:39 पीएम से 3 अक्टूबर को 12:18 एएम तक
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