पोलैंड और यूक्रेन का दौरा सम्पन्न कर दिल्ली पहुंचे पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पोलैंड और यूक्रेन की दो देशों की राजकीय दौरा सम्पन्न कर आज शनिवार को दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर पहुंचे। गौरतलब है कि पीएम मोदी की पोलैंड यात्रा 45 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा थी। वहीं यूक्रेन में पीएम मोदी ने पहले भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में अपनी राजकीय यात्रा सम्पन्न की।

यूक्रेन की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ संयुक्त राष्ट्र चार्टर सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों, जैसे कि क्षेत्रीय अखंडता और राज्यों की संप्रभुता के सम्मान को बनाए रखने में आगे सहयोग के लिए अपनी मंशा दोहराई।

पीएम मोदी ने बातचीत और कूटनीति के जरिए शांतिपूर्ण समाधानों पर दिया जोर

पीएम मोदी ने रूस और युक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए भारत की स्थिति को दोहराते हुए बातचीत और कूटनीति के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया। जिसके परिणाम स्वरूप भारत ने जून 2024 में स्विट्जरलैंड के बर्गनस्टॉक में आयोजित यूक्रेन में शांति पर शिखर सम्मेलन में भाग लिया है।

यूक्रेन ने भारत की इस तरह की भागीदारी का स्वागत किया और अगले शांति शिखर सम्मेलन में उच्च स्तरीय भारतीय भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया। पीएम मोदी की यात्रा के भारत और यूक्रेन ने चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए। वहीं पोलैंड की यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने अपने समकक्ष डोनाल्ड टस्क के साथ द्विपक्षीय चर्चा की। दोनों देशों ने अपने संबंधों को “रणनीतिक साझेदारी” तक बढ़ाने का फैसला किया।

पीएम मोदी और जेलेंस्की दोनों नेताओं ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध और उसके भयानक और दुखद मानवीय परिणामों पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान सहित संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुरूप एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति की आवश्यकता को दोहराया।

इसके साथ ही वैश्विक खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के संबंध में यूक्रेन में युद्ध के नकारात्मक प्रभावों पर भी चर्चा की। गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन लगभग ढाई साल से संघर्ष में लगे हुए हैं।

भारत और पोलैंड ने भी आतंकवाद के सभी रूपों पर अपनी स्पष्ट निंदा प्रकट की और इस बात पर जोर दिया कि किसी भी देश को उन लोगों को सुरक्षित पनाहगाह नहीं देना चाहिए जो आतंकवादी कृत्यों को वित्तपोषित, योजना, समर्थन या अंजाम देते हैं। दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रासंगिक प्रस्तावों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति के दृढ़ कार्यान्वयन की आवश्यकता पर बल दिया। दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (सीसीआईटी) को शीघ्र अपनाने की मंशा जाहिर की।

दोनों देशों ने यूएनसीएलओएस (UNCLOS) के समुद्री अंतर्राष्ट्रीय कानून के मुताबिक एक स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। इसके साथ ही दोनों देशों ने समुद्री सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और नौवहन की स्वतंत्रता के प्रति पूर्ण सम्मान व्यक्त किया।

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