प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पत्र का जवाब दिया है। पीएम ने पत्र में लिखा है, “अयोध्या जानें से एक दिन पूर्व मुझे आपका पत्र मिला। आपकी शुभकामनाओं और स्नेह का मैं बहुत-बहुत आभारी हूं” पत्र में आगे लिखा है, “मैंने एक तीर्थयात्री के रूप में अयोध्या धाम की यात्रा की। मैं उस पवित्र भूमि पर पहुंचकर भावनाओं से अभिभूत हो गया, जहां भक्ति और इतिहास का ऐसा संगम है” आपके पत्र के हर शब्द ने आपके करूणामयी स्वभाव और प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन पर आपकी असीम प्रसन्नता को व्यक्त किया।
‘आपके पत्र ने मुझे सहयोग और सबंल दिया’
पीएम ने आगे लिखा कि जिस समय मुझे पत्र मिला, मैं अलग ही भावयात्रा में था, आपके पत्र ने मुझे, मेरे मन की इन भावनाओं को संभालने में , उनसे सामंजस्य बिठाने में अपार सहयोग और सबंल दिया। मैंने एक तीर्थयात्री के रूप में अयोध्याधाम की यात्रा की। जिस पवित्र भूमि पर आस्था और इतिहास का ऐसा संग हुआ हो, वहां जाकर मेरा मन अनेक भावनाओं में विह्वल हो गया।
योजना का भी किया जिक्र
पीएम ने आगे कहा कि आपने पत्र में पीएम जनमन और जनजातीय समाज में भी अति पिछड़ों के सशक्तिकरण पर इस योजना के प्रभाव की चर्चा की। आदिवासी समाज से जुड़े होने के कारण आपसे ज्यादा तरीके से बेहतर ये कौन समझ सकता है? हमारी संस्कृति ने हमेशा , हमें समाज के सबसे वंचित वर्ग के लिए काम करने की सीख दी है।
प्रभु श्रीराम से मिली प्रेरणा
पीएम ने आगे कहा कि ये प्रभु श्रीराम ही तो हैं, जिन्होंने अपने जीवन के हर अध्याय में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की प्रेरणा दी है। पिछले एक दशक में देश करीब 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुआ है। पीएम ने आगे लिखा कि प्रभु राम के शाश्वत विचार, भारत के गौरवशाली भविष्य का आधार हैं, इन विचारों की शक्ति ही, हम देशवासियों के लिए साल 2047 तक विकसित भारत बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगी। इसके बाद पीएम ने राष्ट्रपति का आभार व्यक्त किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लिखा था पत्र
जानकारी दे दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पीएम को पत्र लिखा था, जिसमें राष्ट्रपति ने पीएम मोदी को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठान के लिए धन्यवाद कहा था। साथ ही राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि सौभाग्य से राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठान देखने का मौका मिला।