PM मोदी बोले- नया भारत बनाने के लिए यह समय हमारे लिए अनुकूल
लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और देश में राजनीतिक हलचल बढ़ चुकी है। नेताओं की जनसभाएं और रैलियां भी शुरू हो जाएंगी। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि देश को एक नई राह पर ले जाया जाए। उन्होंने कहा कि ‘नया भारत’ बनाने के लिए समय अनुकूल है। परिस्तिथियां और कई कारक हमारे पक्ष में हैं।
भारत बनेगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने ईटी नाउ ग्लोबल बिजनेस समिट में कहा कि इस साल पेश किया गया सरकार का अंतरिम बजट इसी दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को स्थिरता और निरंतरता मिलेगी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं गारंटी देता हूं कि उनकी सरकार के तीसरे कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
‘हमने अर्थव्यवस्था का स्वरुप बदल दिया’
वहीं संसद पेश किए गए श्वेत पत्र पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसमें पिछली सरकार के तहत आर्थिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया था। इसमें बताया गया है कि हमें कैसी अर्थव्यवस्था मिली थी और आज हमने काम करके उस अर्थव्यवस्था को कितना मजबूत कर दिया है। पीएम मोदी ने कहा कि पिछले सरकारें राजनीतिक हितों को साधने के लिए काम करती थीं, वहीं हमारी सरकार ने राष्ट्रीय हित सर्वोच्च रखकर काम किया। पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं 2014 में प्रधानमंत्री बना और मैंने अर्थव्यवस्था का हाल देखा तो हैरान था। अर्थव्यवस्था खस्ताहाल थी। वैश्विक निवेशकों में निराशा थी। अगर मैंने यह डेटा तब जारी किया होता, तो इससे गलत संकेत जा सकता था। यह मेरे लिए राजनीतिक रूप से अनुकूल होता, लेकिन राष्ट्रीय हित ने मुझे ऐसा करने की अनुमति नहीं दी।
‘2014 के बाद से गरीबी नाम पर चल रहा उद्योग खत्म हुआ’
पीएम मोदी ने कहा कि 2014 से पहले अपनाई गई नीतियां देश को गरीबी की राह पर ले जा रही थीं। पहले गरीबी उन्मूलन के फॉर्मूले पर एसी कमरों में बैठकर बहस होती थी और गरीब गरीब ही रह जाता था। लेकिन 2014 के बाद जब गरीब मां-बाप का बेटा प्रधानमंत्री बना तो गरीबी के नाम पर चल रहा ये उद्योग खत्म हो गया। अब शासन मॉडल एक साथ दो धाराओं पर आगे बढ़ रहा है। एक ओर, हम उन चुनौतियों का भी समाधान कर रहे हैं जो हमें 20वीं सदी से विरासत में मिली हैं। दूसरी ओर, हम 21वीं सदी की आकांक्षाओं को पूरा करने में भी लगे हुए हैं। ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनमें पिछले 10 वर्षों में इतना काम हुआ है जितना पिछले 70 वर्षों में नहीं हुआ था।
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