BPSC परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर जुटे छात्रों पर पुलिस ने बरसाई लाठियां

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बिहार लोक सेवा आयोग की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा पूरी तरह से रद करने और री एक्जाम की मांग को लेकर अभ्यर्थी पटना के गांधी मैदान में जुटे हैं। अभ्यर्थी गांधी जी की प्रतिमा के नीचे धरने पर बैठ गए हैं। जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर भी अभ्यर्थियों का साथ देने के लिए गांधी मैदान पहुंचे हैं।इस बीच, यह भी जानकारी सामने आई है कि गांधी मैदान में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने छात्रों पर फिर लाठी बरसाई है।

बता दें कि 13 दिसंबर को बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा ली गई थी। राजधानी के बापू सभागार परीक्षा केंद्र पर धांधली का आरोप लगाकर परीक्षार्थियों ने बहिष्कार कर दिया था।

इसके बाद इस केंद्र की परीक्षा रद कर दी गई है। 4 जनवरी को यह परीक्षा ली जानी है, लेकिन अभ्यर्थियों की मांग है कि पूरे बिहार की परीक्षा रद कर दोबारा ली जाए।

पीके के खिलाफ हुई नारेबाजी

  • स्वयं को बीपीएससी अभ्यर्थी बताने वाले हंगामेबाज युवाओं ने रविवार देर शाम जेपी गोलंबर पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर (पीके) के विरुद्ध खूब नारेबाजी की। तब तक पीके वहां से निकल चुके थे। युवाओं का कहना था कि वे अपने बूते आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे।
  • छात्रों के इस आंदोलन को किसी राजनेता के हाथ में नहीं जाने देंगे। जेपी गोलंबर से पहले गांधी मैदान में आयोजित छात्र संसद से पीके के निकले के दौरान भी कुछ ऐसे ही विरोध प्रकट किया गया था। तब हाथापाई पर उतारू युवाओं के गुट को किसी तरह नियंत्रित किया गया।
  • इस बीच छात्रों के हुजूम के साथ पीके मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच कर चुके थे। उत्तेजना चरम पर पहुंच चुकी थी। हालांकि, काफिले को पुलिस-प्रशासन ने जेपी गोलंबर पर ही रोक लिया। वहां आंदोलनकारी छात्रों से पीके ने कहा कि सरकार ने बातचीत की पहल की है।
  • छात्रों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत सफल नहीं रही तो आंदोलन आगे बढ़ाया जाएगा। पीके की उपस्थिति से छात्र संसद में आश्चर्यजनक उत्तेजना की स्थिति थी।
  • हालांकि, प्रशासन ने छात्र संसद के आयोजन की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन पीके का कहना था कि इसके लिए पर्याप्त समय रहते प्रशासन को सूचित कर दिया गया था। सैकड़ों छात्रों की उपस्थिति के लिए गर्दनीबाग का धरनास्थल पर पर्याप्त नहीं।

गांधी मैदान सरकार का नहीं- पीके

पीके ने कहा कि गांधी मैदान सार्वजनिक स्थल है और वहां प्रति रोज हजारों लोग जुटते हैं। ऐसे में छात्र संसद के आयोजन पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। गांधी मैदान में बैठकर बात नहीं होगी तो क्या गर्दनीबाग के टेंट में छात्र बात करेंगे।

प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि गांधी मैदान सरकार का नहीं है। हम यहां प्रदर्शन नहीं, बल्कि शांतिपूर्वक विचार-विमर्श कर रहे। छात्रों की बात सरकार नहीं सुन रही। बिहार में छात्रों का जीवन वर्षों से बर्बाद हो रहा है। इसलिए एक दिन नारा लगाने से कुछ नहीं होगा। इसके लिए लंबी लड़ाई लड़नी होगी और उसे अंजाम तक पहुंचाना होगा।

किसान आंदोलन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि किसान महीनों डेरा डाले रहे, तब जाकर कुछ सुनवाई हुई। पीके ने बिहार में डोमिसाइल नीति में बदलाव, पेपर लीक और नौकरियों में भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने की मांग की। अभ्यर्थियों से एकजुट रहने की अपील की।

बिहार लोकतंत्र की जननी है। नीतीश कुमार इसको लाठीतंत्र नहीं बना सकते। यह मात्र बीपीएससी अभ्यर्थियों की बात नहीं। बिहार में कोई भी प्रतियोगी परीक्षा बिना अनियमितता, पेपर-लीक, भष्ट्राचार के नहीं हो रही। इस समस्या को एक बार जड़ से समाप्त करना है।

शिक्षा जगत के लोगों व कोचिंग संचालकों के साथ बात हुई है। छात्रों के भविष्य को सरकार की लापरवाही, प्रशासन की कोताही व पुलिस की बर्बरता से बचाने के लिए निर्णायक आंदोलन की रणनीति बनेगी।

Kumar Aditya: Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.