किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर को पुलिस ने किया नजरबंद, शाही ईदगाह पहुंच कर जताना चाहती थीं विरोध
मथुरा में लीला धारी भगवान श्री कृष्ण की जन्म स्थली को लिकर चल रहे विवाद में अब किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर हिमांगी भी जुड़ गई है। श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर वनाम शाही ईदगाह मामले में विवादित जगह के कोर्ट सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुस्लिम पक्ष को दिए गए स्टे के बाद किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर हिमांगी सखी मथुरा दल बल के साथ पहुंच कर यहां शाही ईदगाह पर जाकर विरोध जताना चाहती थीं लेकिन इससे पहले पुलिस को सूचना मिल गई और उन्हें वृंदावन के एक आश्रम में ही वृन्दावन कोतवाली प्रभारी आनंद शाही ने पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच कर उनकी घेरा बंदी कर नजरबंद कर दिया।
मुंबई से वृंदावन पहुंचीं थीं महामंडलेश्वर
किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर हिमांगी सखी आज मुंबई से वृंदावन पहुंचीं जहाँ वह परिक्रमा मार्ग स्थित चामुंडा देवी मंदिर के पास एक आश्रम में रुकी। यहां से वह शाही ईदगाह पर जाकर विरोध जताना और पूजा के बाद श्री कृष्ण जन्मस्थान के दर्शन करना चाहती थी। उनके शाही ईदगाह जाने की सूचना जंगल में आग की तरह फैल गई, सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया। वृंदावन थाना प्रभारी आनंद शाही पुलिस बल के साथ आश्रम पर पहुंच गए। यहां उन्होंने हिमांगी सखी को नजरबंद करते हुए पुलिस का पहरा बैठा दिया।
धारा 144 का दिया हवाला
आश्रम पर नजरबंद करने पहुंची पुलिस ने महामंडलेश्वर हिमांगी सखी को शाही ईदगाह जाने से रोकते हुए कहा कि मथुरा जिला में धारा 144 लागू है। इसलिए किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकता। इसके बाद महामंडलेश्वर ने पुलिस से अनुरोध किया कि उनको श्री कृष्ण जन्मभूमि और बांके बिहारी के दर्शन करा दिए जाएं।
महामंडलेश्वर ने किया तांडव
हिमांगी सखी ने पुलिस के द्वारा रोके जाने से आहत होकर आश्रम पर ही तांडव नृत्य शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि जैसे भगवान राम भव्य मंदिर में विराजमान हुए हैं उसी तरह भगवान श्री कृष्ण भी जल्द भव्य मंदिर में विराजमान हों।
सर्वे से सामने आएंगे तथ्य
महामंडलेश्वर ने बताया कि शाही ईदगाह का सर्वे होने से सही तथ्य सामने आएंगे। उन्होंने मुस्लिम समाज से अपील करते हुए कहा कि जब उनको लगता है वहां मंदिर जैसा कुछ नहीं है तो फिर वह सर्वे रोकने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र क्यों लगाते हैं। उन्होंने कहा कि वह तो केवल अपने आराध्य कृष्ण की आराधना करना चाहती थीं। अगर सर्वे में मंदिर का कोई सबूत नहीं पाया तो जिसकी जमीन होगी उसे मिलेगी।
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