आरक्षण संशोधन बिल पर राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही बिहार में 75% तक आरक्षण लागू हो गया है. पहले 60% आरक्षण बिहार में लागू था, लेकिन अब पिछड़ा, अति पिछड़ा और एससी एसटी का आरक्षण जातीय गणना की रिपोर्ट के आधार पर बढ़ाया गया है. आरक्षण की सीमा बढ़ाने में सभी दलों ने समर्थन किया था. लेकिन अब इस पर सियासत भी शुरू है।
क्रेडिट लेने की होड़ : इस मामले में बीजेपी का कहना है कि हम लोगों के समर्थन से ही बिहार में आरक्षण की सीमा 75% तक हुई है. भाजपा प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि आरक्षण को लेकर हम लोग शुरू से समर्थन करते रहे हैं. अब सरकार को गरीबों के लिए काम करना चाहिए. कैसे उनके पास आरक्षण पहुंचे इस पर ध्यान देना चाहिए. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि लोकसभा चुनाव में आरक्षण कोई मुद्दा नहीं होगा, विकास मुद्दा होगा।
बिहार में आरक्षण पर सियासत शुरू : नीतीश सरकार ने सभी दलों की सहमति के बाद बिहार में जातीय गणना करवाने का फैसला लिया. उस पर 500 करोड़ की राशि खर्च हुई. जातीय गणना की आर्थिक सर्वे रिपोर्ट शीतकालीन सत्र में विधानसभा में पास कराया गया. उसी के आधार पर आरक्षण संशोधन बिल को भी पास कराया गया. जिस पर अब राज्यपाल की भी मुहर लग चुकी है. राजपाल की मोहर लगते ही सियासत भी शुरू हो चुकी है. बीजेपी कह रही है कि हम लोगों ने इसका शुरू से समर्थन किया है।
जेडीयू ने लगाया साजिश का आरोप: वहीं जेडीयू ने बीजेपी पर साजिश रचने का आरोप लगाया है. जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि जातीय गणना को रोकने के लिए लाख साजिशें हुईं लेकिन इसके बावजूद भी बिहार में जातीय गणना संपन्न हुई और रिपोर्ट को भी सार्वजनिक करवाया. ये हमारे नेता की नीति और नीयत है. नीयत सही है तो सफलता भी जरूर मिलती है।
लाख साजिशों के बाद जातीय गणना हुई और उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक हुई. आरक्षण को बढ़ाने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित हुआ. अब इस पर राज्यपाल महोदय की मंजूरी भी मिल गई है. आरक्षण की सीमा बढ़ाने का बहुत ही ऐतिहासिक फैसला है. हम अपने मुखिया नीतीश कुमार जी को इसके लिए बधाई और धन्यवाद दे रहे हैं.” – अभिषेक झा, जेडीयू प्रवक्ता