केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी आज (सोमवार) हैम्बर्ग स्थिरता सम्मेलन में भाग लेंगे। प्रल्हाद जोशी सतत विकास और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के सहयोग को मजबूत करने के लिए जर्मनी की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के बयान के अनुसार केंद्रीय मंत्री जोशी 7 से 8 अक्टूबर, 2024 तक हैम्बर्ग स्थिरता सम्मेलन में भाग लेंगे। इसके अलावा वह सतत विकास, ग्रीन हाइड्रोजन, कम लागत वाले वित्त और संपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा मूल्य श्रृंखला घटकों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम के मंत्रियों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठकों की एक श्रृंखला भी आयोजित करेंगे। इस यात्रा का उद्देश्य भारत-जर्मनी संबंधों को मजबूत करना तथा व्यापार के अवसर पैदा करना और वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार को बढाना है।
हैम्बर्ग स्थिरता सम्मेलन में भाग लेंगे
आपको बता दें 6 अक्टूबर से प्रल्हाद जोशी तीन दिन की जर्मनी यात्रा पर हैं। केंद्रीय मंत्री जोशी 7 से 8 अक्टूबर तक हैम्बर्ग स्थिरता सम्मेलन में भाग लेंगे और सतत विकास, ग्रीन हाइड्रोजन, कम लागत वाले वित्त और संपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा मूल्य श्रृंखला घटकों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम के मंत्रियों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठकों की एक श्रृंखला भी आयोजित करेंगे।
यह यात्रा भारत-जर्मनी संबंधों को आगे बढ़ाएगी
प्रल्हाद जोशी, मंत्री सम्मेलन में ग्रीन शिपिंग पर भारत की स्थिति और मोबिलिटी सेक्टर को कार्बन मुक्त करने में ग्रीन हाइड्रोजन की भूमिका पर भी जोर देंगे। यह यात्रा भारत-जर्मनी संबंधों को आगे बढ़ाएगी, जिससे व्यापार के अवसर पैदा होंगे और भारत और दुनिया भर में अक्षय ऊर्जा के विस्तार में तेजी आएगी। यह सतत विकास और नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करेगा, जिससे वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को बढ़ावा मिलेगा।
पीएम मोदी का भारत-जर्मनी द्विपक्षीय संबंधों पर विशेष जोर
दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत-जर्मनी द्विपक्षीय संबंधों पर विशेष जोर दिया है। आपको बता दें कि भारत और जर्मनी के नेताओं के बीच अंतर-सरकारी परामर्श अक्टूबर, 2024 में भारत में होने वाला है। सितंबर, 2024 में आयोजित री-इन्वेस्ट 2024 के दौरान, दोनों देशों ने अक्षय ऊर्जा में निवेश के लिए भारत-जर्मनी मंच का शुभारंभ किया था । इस मंच से पूंजी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए और अधिक व्यावसायिक अवसर और नए रास्ते बनाने, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का समर्थन करने और दुनिया भर में अक्षय ऊर्जा में नवीन तकनीकी समाधानों के विकास को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश और रोजगार
गौरतलब है, भारत ने 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा स्रोतों से 40 प्रतिशत संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता प्राप्त करने के अपने एनडीसी लक्ष्य को निर्धारित समय से नौ वर्ष पहले ही 2021 में हासिल कर लिया था और 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 50 प्रतिशत संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता प्राप्त करने के अपने एनडीसी लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। भारत द्वारा ऊर्जा संक्रमण प्रयासों से अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ने की भी उम्मीद की जा रही है।