’25 हजार के मुचलके पर रिहा हुए हैं प्रशांत किशोर…’, झूठ बोल रहे थे पीके? प्रशासन ने खोली पोल

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जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर पिछले कुछ दिनों काफी सुर्खियों में हैं. पटना के गांधी मैदान में अनाधिकृत रूप से अनशन पर बैठने के कारण पटना पुलिस ने उन्हें बीती 6 जनवरी को गिरफ्तार किया था. हालांकि, उन्हें उसी दिन सिविल कोर्ट से 25 हजार रुपये के मुचलके पर सशर्त जमानत मिल गई थी. जिसके बाद प्रशांत किशोर के वकील ने मीडिया को बताया था कि पीके ने सशर्त जमानत लेने से इनकार कर दिया है और वह बीपीएससी छात्रों के लिए जेल तक जाने को तैयार हैं. मीडिया में खबरें आई थीं कि पीके को पटना के बेउर जेल भेज दिया गया था, लेकिन शाम को अचानक से उन्हें फिर से बेल मिल गई थी. अब इस पूरे घटनाक्रम पर पटना जिला प्रशासन ने एक विज्ञप्ति जारी की है. जिसमें प्रशासन ने पीके की ओर से किए जा रहे दावों को गलत बताया है. प्रशासन के खुलासे के बाद सवाल ये उठता है कि क्या प्रशांत किशोर झूठ बोल रहे थे? क्या वो बीपीएससी छात्र आंदोलन के बहाने अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे हैं. इन तमाम सवालों के जवाब तलाशने से पहले देखिए पटना जिला प्रशासन ने अपनी विज्ञप्ति में क्या कहा है.

जिला प्रशासन ने अपनी विज्ञप्ति के पहले प्वाइंट में कहा कि जन सुराज पार्टी के प्रशांत किशोर एवं कुछ अन्य लोगों के द्वारा अपनी 5 सूत्री मांगों को लेकर प्रतिबंधित क्षेत्र गांधी मैदान के गांधी मूर्ति के समक्ष अवैध ढंग से धरना दिया जा रहा था. प्रशासन द्वारा वहां से हटकर धरना के लिए निर्धारित स्थल गर्दनीबाग में जाने के लिए नोटिस दिया गया था. प्रतिबंधित क्षेत्र में गैर-कानूनी ढंग से धरना देने के कारण गांधी मैदान थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. अनेक बार आग्रह करने तथा पर्याप्त समय देने के बाद भी स्थल खाली नहीं किया गया. अतः दिनांक 06.01.2025 को सुबह में उन्हें गिरफ्तार करते हुए उनके 44 समर्थकों को भी निरुद्ध किया गया था.

दूसरे प्वाइंट में जिला प्रशासन ने कहा कि प्रशांत किशोर की मेडिकल जांच कराने के बाद उन्हें कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया था. मेडिकल जांच के लिए सर्वप्रथम पटना एम्स ले जाया गया था, लेकिन आरोपी द्वारा सहयोग नहीं किया गया. फिर उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाने का प्रयास किया जा रहा था, परंतु 12 गाड़ियों के साथ उनके 23 समर्थकों द्वारा लगातार पीछा करते हुए व्यवधान डाला जा रहा था जिसके कारण विलंब होने लगा. अंततः उक्त गाड़ियों और समर्थकों को पिपलावा थाना अंर्तगत रोक कर कार्य में बाधा डालने के आरोप में निरुद्ध किया गया. तत्पश्चात आरोपी को फतुहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया.

तीसरे प्वाइंट में प्रशासन ने कहा कि फतुहा स्वाथ्य केंद्र पर भी आरोपी द्वारा सहयोग नहीं करने पर प्रावधान के अनुसार उनकी असहमति को रिकॉर्ड करते हुए उपस्थित डॉक्टर द्वारा उनका स्वास्थ्य जांच प्रतिवेदन दिया गया. इसमें डॉक्टर पर फर्जी फिटनेस सर्टिफिकेट देने या गलत जांच प्रतिवेदन देने के लिए दबाव बनाने का प्रश्न ही नहीं है, क्योंकि कोर्ट में पेशी के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होती है. मात्र स्वास्थ्य जांच रिपोर्ट की जरूरत होती है, जिसमें आरोपी स्वस्थ भी हो सकता है अथवा अस्वस्थ भी हो सकता है. इसके अतिरिक्त जांच करने वाली डॉक्टर ने भी स्वास्थ्य जांच के बिंदु पर पुलिस द्वारा किसी प्रकार का दबाव डालने के आरोप का खंडन किया है और विहित प्रक्रिया के तहत जांच करने की बात कही है. इस प्रकार का आरोप सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने की मंशा को दर्शाता है.

प्रशासन ने आगे कहा कि कोर्ट में सुनवाई के बाद आरोपी के ही विद्वान अधिवक्ताओं द्वारा मीडिया कैमरा के सामने बताया गया कि कोर्ट ने 25000 रुपये के बॉण्ड पर सशर्त जमानत दी है, परंतु आरोपी ने शर्तों का विरोध करते हुए बॉण्ड भरने से इंकार कर दिया है. समझाने पर भी समझने को तैयार नहीं है. अतः जेल जाना पड़ सकता है. सुनवाई के उपरांत आरोपी के समर्थकों द्वारा सिविल कोर्ट में जमावड़ाकर अव्यवस्था उत्पन्न करने के कारण अन्य फरियादिओं, गवाहों, न्यायालयों को काफी दिक्कत होने लगी तथा कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था भी खतरे में आ गई. अतः आरोपी को कोर्ट परिसर से हटाकर बेऊर ले जाया गया और वहां कोर्ट के आदेश की प्रतीक्षा की गई. शाम को कोर्ट का आदेश प्राप्त होने तथा आरोपी द्वारा 25000 रुपये का बांड भरने पर विहित प्रक्रिया के तहत जमानत पर रिहा किया गया.

विज्ञप्ति में आगे कहा गया कि ⁠प्रशासन द्वारा संपूर्ण कार्रवाई गांधी मैदान के गांधी मूर्ति पार्क को अवैध ढंग से किए जा रहे धरना से मुक्त कराने और कानून के शासन को स्थापित करने के उद्देश्य से की गई जिसमें किसी के प्रति किसी प्रकार का पूर्वाग्रह नहीं था. कोर्ट के आदेश में ऐसा कुछ नहीं कहा गया है कि उक्त स्थल पर धरना देना गैर-कानूनी नहीं है. गांधी मूर्ति पार्क धरना स्थल नहीं है, अतः वहां धरना देना सदैव गैर-कानूनी है. इस प्रकार का प्रयास करने वालों के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई निश्चित रूप से की जाएगी.

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