पटना: जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर 2 जनवरी से आमरण अनशन पर बैठे थे। जिसके बाद 6 जनवरी की सुबह 4 बजे बिहार पुलिस प्रशांत किशोर को आमरण अनशन स्थल गांधी मूर्ति से गिरफ्तार कर 5 घंटे तक एंबुलेंस में घुमाती रही फिर उन्हें फतुआ के सामुदायिक अस्पताल ले गई और उसके बाद पीरबहोर सिविल कोर्ट पटना लेकर आई। जहां से निकलने के बाद प्रशांत किशोर ने मीडिया से बातचीत की और उन्होंने कहा कि आज सुबह 4 बजे जहां हमलोग पिछले 5 दिनों से सत्याग्रह कर रहें थे, करीब 4 बजे पुलिस के साथी आए और बोले मेरे साथ चलिए। जाहिर सी बात है हमारे साथ भी काफी लोग मौजूद थे भीड़ थी लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं। पुलिस का बरताव खराब नहीं रहा है। थप्पड़ मारने वाली खबर जो मीडिया में चल रही है वो बेबुनियाद है। हमारी लड़ाई पुलिस से नहीं हैं। लेकिन मैं बताना चाहता हूं इसके बाद पुलिस मुझे लेकर AIIMS गई, वहां मुझे एक डेढ़ घंटे बैठा कर रखा वहां की हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ने मेरा एडमिशन करने से मना कर दिया इसके पीछे क्या कारण रही। मुझे नहीं बताया गया। इस बीच में मेरे कई साथी समर्थक AIIMS के गेट पर आ गए थे। वहां से निकलते वक्त थोड़ी बहुत हाथापाई की गई।लेकिन वहां से पुलिस का बरताव गलत रहा 5 बजे से लेकर 11 बजे तक पुलिस मुझे एंबुलेंस में बैठा कर अलग अलग जगहों पर घुमाती रही है, लेकिन किसी ने नहीं बताया हम कहां जा रहें हैं। 5 घंटे बाद मुझे फतुआ के सामुदायिक केंद्र में ले गए। वह डॉक्टरों से मेरा परीक्षण करा कर एक सर्टिफिकेट लेना चाहते थें। लेकिन मैंने उसकी इजाजत नहीं दी क्योंकि मैं कोई गलत काम नहीं कर रहा। जिस कारण से डॉक्टर ने सार्टिफिकेट नहीं दिया और मैं वहां के डॉक्टर का धन्यवाद देना चाहता हूं। उन्होंने किसी गैरकानूनी काम में साथ नहीं दिया। इसके बाद पुलिस ने मेरा एक वीडियो रिकॉर्डिंग करवाया जिसमें पूछा गया मैं परीक्षण क्यों नही करवा रहा हूं।
प्रशांत किशोर ने कहा सत्याग्रह जारी रहेगा .. बेल ठुकराकर जेल जाना स्वीकार किया, कहा– यह मौलिक लड़ाई है नीतीश और भाजपा के लाठीतंत्र को उखाड़ फेकना है
आगे प्रशांत किशोर ने बताया कि फिर पुलिस मुझे वापस पटना लाएं, करीब 2 घंटे घुमाकर। फिर मुझे कोर्ट में लाया गया यहां सीडीजीएम ने मुझे बेल दी है। लेकिन शर्त रखा गया की आप फिर से ये सब नही करेंगे इसलिए मैने उस बेल को रिजेक्ट कर दिया है। और जेल जाना स्वीकार किया है, इसलिए स्वीकार किया क्योंकि यह एक मौलिक लड़ाई है, बिहार में महिलाओं और युवाओं पर लाठी चलाना जायज है, और उसके खिलाफ आवाज उठाना जुर्म है। तो हम जेल जाने के लिए तैयार हैं। गांधी मैंदान जो की एक पब्लिक प्रॉपर्टी है वहां जाकर अपनी मन की बात रखना और जिस बिहार में गांधी ने सत्याग्रह की अगर वहां सत्याग्रह करना गुनाह है तो हमें वो गुनाह करना मंजूर हैं। इसलिए मैने बेल नही लिया, क्योंकि ये मेरी लड़ाई खिलाफ है जिन युवाओं ने मेरा साथ दिया, ये उनके साथ धोखा होगा। और ये जो मेरा अनशन 5 दिन से चल रहा है वह जेल में भी जारी रहेगा जब तक सरकार इसका रास्ता नहीं निकलती ये बदलने वाला नहीं है। आगे उन्होंने अपने समर्थकों से अपील की पुलिस वालों के साथ धक्का – मुक्की नहीं कीजिए, इन्हे ऊपर से आदेश इसलिए ये ऐसा कर रहें हैं। यह अभियान लाठीतंत्र चलाने वाले नीतीश और भाजपा को उखाड़ने का अभियान हैं।