राज्य में पिछले 10 वर्षों के दौरान नक्सली गतिविधियों में तेजी से कमी आई है। नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 16 से घटकर महज 5 रह गई है। इसमें जमुई, लखीसराय, मुंगेर, गया और औरंगाबाद शामिल हैं।
उत्तर बिहार से नक्सलियों का सफाया हो गया है। सिर्फ दक्षिण बिहार के ही इन 5 जिलों में इनकी गतिविधि सिमटकर रह गई है। अब इन जिलों के अत्यधिक नक्सल प्रभावित थाना क्षेत्रों यानि नक्सलियों की मांद समझे जाने वाले सुदूर या दुर्गम इलाकों को खासतौर से चिन्हित करके यहां व्यापक ऑपरेशन चलाने की तैयारी की गई है।
इन सर्वाधिक नक्सल प्रभावित थानों में सीआरपीएफ की कोबरा के साथ ही एसटीएफ की 10 से अधिक विशेष बटालियन तैनात की गई है। इनमें मुंगेर के पैसरा एवं जमुई के चोरमारा थाना क्षेत्रों में पहली बार कोबरा, चीता समेत अन्य विशेष फोर्स की तैनाती की गई है। इसे सुरक्षा बलों का संयुक्त अंतिम प्रहार माना जा रहा है।
नक्सलियों के मांद में घुसकर उनके सफाए की तैयारी हो चुकी है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि आगामी एक से डेढ़ वर्ष में उत्तर की तरह ही दक्षिण बिहार से नक्सलियों का सफाया हो जाएगा। इसके मद्देनजर ही सुदूर नक्सली इलाकों में विशेष अभियान की शुरुआत की गई है। हाल में डीजीपी आरएस भट्टी ने भी नक्सलियों पर नकेल कसने को लेकर विशेष तौर पर आदेश जारी किया था। ऑपरेशन को प्रभावी तरीके से अंजाम देने के लिए एसटीएफ में दो अधिकारियों की खासतौर से तैनाती की थी।