प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की पहली डॉल्फिन गणना रिपोर्ट जारी की, वन्यजीव संरक्षण के लिए की बड़ी घोषणाएं

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सोमवार को गुजरात के गिर नेशनल पार्क में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की 7वीं बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान उन्होंने देश की पहली नदी डॉल्फिन गणना रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कुल 6,327 नदी डॉल्फिन पाई गई हैं। यह अध्ययन 8 राज्यों की 28 नदियों में किया गया जिसमें 3,150 कार्य-दिनों में 8,500 किलोमीटर की दूरी तय की गई। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक डॉल्फिन दर्ज की गईं, इसके बाद बिहार, पश्चिम बंगाल और असम का स्थान रहा।

बैठक में सरकार द्वारा वन्यजीव संरक्षण के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों की समीक्षा की गई। इसमें टाइगर प्रोजेक्ट, हाथी संरक्षण प्रोजेक्ट, स्नो लेपर्ड प्रोजेक्ट और एशियाई शेरों के संरक्षण की योजनाओं पर चर्चा हुई। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय बिग कैट्स एलायंस की स्थापना और डॉल्फिन संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भागीदारी पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री ने स्कूली बच्चों को डॉल्फिन संरक्षण के बारे में जागरूक करने के लिए उनके आवासीय क्षेत्रों में शैक्षणिक दौरों की योजना बनाने की सलाह दी।

एशियाई शेरों की 16वीं जनगणना शुरू करने की हुई घोषणा

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर जूनागढ़ में राष्ट्रीय वन्यजीव रेफरल केंद्र की आधारशिला रखी। यह केंद्र वन्यजीवों के स्वास्थ्य और बीमारी प्रबंधन का प्रमुख हब होगा। उन्होंने 2025 में एशियाई शेरों की 16वीं जनगणना शुरू करने की घोषणा भी की। इसके अलावा, बर्दा वन्यजीव अभयारण्य में प्राकृतिक रूप से बढ़ रही एशियाई शेरों की आबादी को देखते हुए, वहां भोजन की उपलब्धता बढ़ाने और पर्यावरण सुधारने के प्रयास किए जाएंगे।

वहीं वन्यजीव-मानव संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए कोयंबटूर स्थित सलीम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री (SACON) में एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की घोषणा की गई। यह केंद्र राज्यों को वन्यजीव निगरानी और संघर्ष प्रबंधन में मदद करेगा। इसके अलावा, वन्यजीव संरक्षण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रिमोट सेंसिंग और जियोस्पेशियल मैपिंग जैसी आधुनिक तकनीकों के उपयोग पर जोर दिया गया।

प्रधानमंत्री ने गांधी सागर अभयारण्य (मध्य प्रदेश) और बन्नी घास के मैदान (गुजरात) में चीतों को बसाने की योजना की भी घोषणा की। इसके अलावा, बाघों के संरक्षण के लिए एक नई योजना शुरू करने और ‘प्रोजेक्ट घड़ियाल’ के तहत घड़ियालों के संरक्षण के प्रयासों को बढ़ाने का निर्णय लिया गया। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोदावण) संरक्षण के लिए एक राष्ट्रीय कार्ययोजना भी लॉन्च की गई।

आधुनिक तकनीक से वन्यजीव संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा

पीएम मोदी ने परंपरागत ज्ञान को संरक्षित करने और उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अन्य राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में लागू करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदायों की भागीदारी से संरक्षण प्रयासों को मजबूती मिली है, जिससे पिछले 10 वर्षों में सामुदायिक अभयारण्यों की संख्या छह गुना बढ़ गई है।

बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने वन्यजीव संरक्षण में लगे फॉरेस्ट गार्ड्स के लिए मोटरसाइकिलें रवाना कीं और गिर के वन अधिकारियों, इको-गाइड्स और ट्रैकर्स से बातचीत की। इस बैठक में वन्यजीव संरक्षण के नए लक्ष्यों और योजनाओं पर चर्चा की गई, इससे भारत में वन्यजीवों के बेहतर संरक्षण और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी।

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