अयोध्या में प्रधानमंत्री मोदी बोले- रामलला ही नहीं 4 करोड़ गरीबों को भी मिला पक्का घर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में 15,700 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस मौके पर पीएम ने एक कार्यक्रम को संबोधित भी किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आज पूरी दुनिया उत्सुकता के साथ 22 जनवरी के ऐतिहासिक क्षण का इंतजार कर रही है। ऐसे में अयोध्यावासियों में ये उत्साह और उमंग स्वाभाविक है। भारत की मिट्टी के कण-कण और भारत के जन-जन का मैं पुजारी हूं और मैं भी आपकी तरह उतना ही उत्सुक हूं।
अमृतकाल के संकल्प को बढ़ा रहे हैं आगे
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज यहां 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े ये काम आधुनिक अयोध्या को देश के नक्शे पर फिर से गौरव के साथ स्थापित करेंगे। आजादी के आंदोलन से जुड़े ऐसे पावन दिवस पर आज हम आजादी के अमृतकाल के संकल्प को आगे बढ़ा रहे हैं। आज विकसित भारत के निर्माण को गति देने के अभियान को अयोध्या नगरी से नई ऊर्जा मिल रही है।
आजादी के आंदोलन से जुड़े ऐसे पावन दिवस पर आज हम आजादी के अमृतकाल के संकल्प को आगे बढ़ा रहे हैं। आज विकसित भारत के निर्माण को गति देने के अभियान को अयोध्या नगरी से नई ऊर्जा मिल रही है। पीएम मोदी ने कहा कि देश के इतिहास में 30 दिसंबर की तारीख बहुत ऐतिहासिक रही है। 1943 में आज के ही दिन नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अंडमान में झंडा फहरा कर भारत की आजादी का जयघोष किया था।
रामलला को ही नहीं बल्कि पक्का घर देश के 4 करोड़ गरीबों को भी मिला
आज देश में सिर्फ केदार धाम का पुनरुद्धार ही नहीं हुआ है, बल्कि 315 से ज्यादा नए मेडिकल कॉलेज भी बने हैं। आज देश में महाकाल महालोक का निर्माण ही नहीं हुआ है, बल्कि हर घर जल पहुंचाने के लिए पानी की 2 लाख से ज्यादा टंकियां भी बनवाई गई हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि एक समय था, जब यहीं अयोध्या में रामलला टेंट में विराजमान थे। आज पक्का घर सिर्फ रामलला को ही नहीं बल्कि पक्का घर देश के 4 करोड़ गरीबों को भी मिला है। आज का भारत अपने तीर्थों को भी संवार रहा है, वहीं डिजिटल टेक्नोलॉजी की दुनिया में भी छाया हुआ है।
अपनी विरासत को संभालना ही होगा
दुनिया में कोई भी देश हो, अगर उसे विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचना है, तो उसे अपनी विरासत को संभालना ही होगा। हमारी विरासत हमें प्रेरणा देती है, हमें सही मार्ग दिखाती है। इसलिए आज का भारत, पुरातन और नूतन दोनों को आत्मसात करते हुए आगे बढ़ रहा है।
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