भारत में डील गतिविधियों में 2023 के धीमेपन के बाद एक बार फिर 2024 में बढ़त देखने को मिल रही है। इस साल की पहली छमाही में 17.1 अरब डॉलर वैल्यू की 643 डील हुई हैं। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई।
ग्रांट थॉर्नटन भारत की रिपोर्ट में बताया गया कि सर्वे में भाग ले चुके 50 प्रतिशत उत्तरदाताओं का कहना है कि वे अगले 12 से 18 महीनों में फंड जुटाने वाले हैं। इसमें से 67 प्रतिशत का मानना है कि वे धीरे-धीरे इसे बढ़ाएंगे।
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की आर्थिक स्थिति ग्लोबल कैपिटल में अधिक हिस्सेदारी आकर्षित करने के लिए काफी उचित है, क्योंकि फंड्स का रूझान चीन से हटकर भारत की ओर शिफ्ट हो रहा है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि निवेशक काफी आशावादी हैं और 48 प्रतिशत को लगता है कि अगले तीन वर्षों में डील गतिविधियों में काफी तेजी रह सकती है। कंज्यूमर, रिटेल, हेल्थकेयर और टेक्नोलॉजी में हाई-वैल्यू डील देखने को मिल सकती हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि प्राइवेट इक्विटी भारतीय बिजनेस परिदृश्य में सरकारी कंपनियों, फैमिली बिजनेस और एमएनसी के बाद चौथे पहिए के रूप में उभरा है।
सर्वे रिपोर्ट में कहा गया कि 86 प्रतिशत निवेशकों का मानना है कि भारत में निवेश को बढ़ाना चाहिए। इसकी वजह जीडीपी और शेयर बाजार का मजबूत प्रदर्शन करना है।
वैश्विक प्राइवेट इक्विटी परिदृश्य में भारत का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। 2023 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में हुई कुल पीई-वीसी इन्वेस्टमेंट में भारत की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत थी। यह आंकड़ा 2018 में 15 प्रतिशत था।