भारत में बंद हुई राजदूत मोटरसाइकल, ऋषि कपूर की इस फिल्म से पहुंची थी गांव-गांव

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भारत की आजादी के बाद से भारत में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री भी रफ्तार पकड़ती जा रही थी. यह वह दौर था, जब बाइक और कार का चलन बढ़ता जा रहा था. इस समय तक सिर्फ कुछ ही कंपनियां थीं, जो कार और बाइक बनाती थीं. बाइक्स की बात करें तो इसमें येज्दी और रॉयल एनफील्ड जैसी कंपनियां ने भी अपनी धाक जमाना शुरू कर दिया था. इन सब के बीच एक ऐसी विदेशी बाइक आई, जिसे लोगों को काफी पसंद किया. उस जमाने के बड़े बड़े एक्टर और क्रिकेटरों ने उस बाइक को चलाया, लेकिन अचानक ऐसा कुछ हुआ, जिससे यह बाइक भारत में बंद हो गई.

आज यहां जिस बाइक की बात कर रहे हैं, वो है राजदूत. आजादी के बाद के कुछ सालों तक भारत में फास्ट बाइक का चलन काफी कम था. इस दौरान पौलेंड की कंपनी एस्कॉर्ट ग्रुप ने अपनी SHL 11 को रिडिजाइन करके इसे भारत में उतारा और राजदूत नाम दिया. यह एक फास्ट बाइक थी. इसे भारतीय सड़कों पर चलने के हिसाब से बनाया गया था. हालांकि, बाइक को शुरुआत में कुछ खास रिस्पॉन्स नहीं मिलता. इस बाइक की टॉप स्पीड 150 किमी प्रति घंटा था. यह मात्र 4 सेकंड में 0 से 60 किमी की रफ्तार पकड़ सकती थी.

फिल्म बॉबी ने बदली बाइक की किस्मत
साल 1970 आते-आते बाइक की बिक्री भी घटने लगी, लेकिन 1973 में आई फिल्म बॉबी ने इस बाइक की किस्मत खोल दी. यह फिल्म काफी पसंद की गई है. फिल्म में हीरो ऋषि कपूर को राजदूत बाइक को चलाते हुए दिखाया गया. फिर क्या था, यूथ को भी ये बाइक काफी पसंद आने लगी. अचानक से इस बाइक की बिक्री बहुत तेजी से बढ़ गई. इसके बाद कई फिल्म स्टार और क्रिकेट भी इस बाइक का इस्तेमाल करने लगे.

गांव-गांव तक पहुंच गई थी बाइक
कुछ वक्त को कंपनी ने राहत की सांस ली, लेकिन कुछ सालों बाद एक बार फिर राजदूत की बिक्री घटने लगी. इसके बाद कंपनी ने मॉडल को वापस ले लिया और नए मॉडल को उतारने की तैयारी की. इसके लिए एस्कॉर्ट ने जापान की यामाहा से हाथ मिलाया. इसके बाद दोनों कंपनियों ने मिलकर भारतीय कंडीशन के हिसाब से नई बाइक लॉन्च कर दी, जिसमें कई बदलाव किए गए.

इससे कीमत भी काफी कम हो गई. इसके बाद तो यह बाइक देश के गांव-गांव में पहुंच गई. इसे खराब सड़कों पर भी आसानी से चलाया जा सकता था. भारत सरकार ने भी फॉरेस्ट और मेडिकल डिपार्टमेंट को कुछ बाइक खरीदकर दीं.

इस वजह से हो गई बंद
1990 का दशक आते-आते एक बार कंपनी की बिक्री घटने लगी, क्योंकि इस दौरान कई सारी कंपनियां भारतीय बाजार में एंट्री कर चुकी थीं. ये कंपनियां सस्ती और बेहतर बाइक बना रहीं थी. रेसिंग बाइक होने के बावजूद राजदूत में कई सेफ्टी फीचर्स की कमी थी. इससे हादसों की संख्या बढ़ गई. लोगों में डर फैल गया और भारत में राजदूत की पॉपुलैरिटी कम होती चली गई. इसके अलावा बाइक के पार्ट्स भी आसानी से नहीं मिलते थे. साल 1991 में कंपनी इसका प्रोडक्शन बंद कर दिया.

Rajkumar Raju: 5 years of news editing experience in VOB.
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