रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में शांति और व्यवस्था बनाए रखना हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। भारत की समुद्री सीमाएं निर्धारित करने वाले देशों की ओर से भी समुद्री सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रयास किये जाने चाहिए। भारत के इस प्रयास में सभी मित्र देशों का साथ जरूरी है, क्योंकि यदि एक भी देश छूटा तो समझिए हमारा सुरक्षा चक्र टूटा। भारत तोड़ने में नहीं, बल्कि सबको जोड़ने में विश्वास रखता है, इसलिए हम लोग हर तरीके से सभी मित्र पड़ोसी देशों को साथ लेने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार (15 अक्टूबर) को तेलंगाना के विकाराबाद में नौसेना के वीएलएफ राडार स्टेशन की नींव रखने के बाद शिलान्यास समारोह को संबोधित कर रहे थे।
आज समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने वीएलएफ स्टेशन के निर्माण से जुड़े सभी हितधारकों को और तेलंगाना सरकार के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी को धन्यवाद देते हुए हुए कहा कि हमारे सशस्त्र बलों के लिए यह स्टेशन सैन्य क्षमता का विस्तार करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। यह वीएलएफ स्टेशन चालू होने के बाद समुद्री बलों के लिए कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। इस प्रकार का हाई-टेक बुनियादी ढांचा सिर्फ एक सैन्य प्रतिष्ठान में नहीं होता है, बल्कि ये अपनी रणनीतिक भूमिका जैसे राष्ट्रीय महत्व का सिद्धांत देता है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि साधारण या असाधारण परिस्थिति में किसी भी कमांड सेंटर से जुड़े सभी लोगों के बीच सूचनाओं का निर्बाध प्रवाह होना बहुत जरूरी है और इस प्रकार के संचार के लिए ये केंद्र बहुत महत्वपूर्ण हो जाते हैं। यह वीएलएफ स्टेशन समुद्री बलों के बीच संचार स्थापित करने की कड़ी में हमारा सबसे अहम प्रयास है। यह हमारे सशस्त्र बलों के कमांड सेंटरों के साथ समुद्र में हमारे जहाजों और पनडुब्बियों के बीच एक मजबूत और वास्तविक समय संचार विकसित करना चाहता है। यह स्टेशन हमारे समुद्री हित को सुरक्षित करने के समान दृष्टिकोण के साथ बनाया जा रहा है।
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि आज हमारी नौसेना के पास लगभग बहुत से जहाज हैं। भारतीय नौसेना के कई जहाज और अन्य प्लेटफॉर्म पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उतारे गए हैं। हमारी नौसेना का क्षेत्र संपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में, पूर्व में मलक्का स्ट्रेट से, पश्चिम में अदन की खाड़ी, फारस की खाड़ी और अफ्रीका के पूर्वी तट तक फैला हुआ है। इतिहास भी इस बात का गवाह है कि जिस देश ने दुनिया में अपनी खास पहचान बनाई, उसने एक बार समुद्र पर अपना दबदबा जरूर बनाया। फ्रांसीसियों, पुर्तगालियों और अंग्रेजों ने समुद्र में अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई। इस रणनीतिक प्रभुत्व तथा संसाधनों के प्रतिस्पर्धा में अगर भारत को अपना हित सुरक्षित करना है, तो हमारे पास के प्लेटफार्मों और उपकरणों का होना बहुत जरूरी है, उसके साथ-साथ एक संचार प्रणाली का ढांचा भी होना आवश्यक है।