रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार (27 दिसंबर) को उन तीन लोगों के परिवारों को न्याय का आश्वासन दिया जो जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकी हमले के बाद कथित तौर पर सेना के हिरासत में लिए जाने के बाद मृत पाए गए थे. इस दौरान राजनाथ सिंह के साथ सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद रहे.
राजनाथ सिंह ने कथित तौर पर सेना की हिरासत में घायल हुए लोगों से भी अस्पताल में मुलाकात की. रक्षा मंत्री ने राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय (जीएमसी) अस्पताल परिसर में कहा, ‘‘जो कुछ भी हुआ, न्याय होगा.’’
राजनाथ सिंह ने क्या कहा?
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ”आप (सेना) सभी इस देश के रक्षक है. देश की रक्षा के साथ-साथ आप लोगों से विशेष आग्रह करना चाहता हूं. ये है कि देश की रक्षा की जिम्मेदारी आप लोगों पर है, लेकिन रक्षा के साथ-साथ अपने देशवासियों का दिल जितना यह भी बड़ी जिम्मेदारी भी आपके कंधों पर है.”
उन्होंने आगे कहा कि जिस देश की आप सेवा कर रहे हैं उस देश के लोगों के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे और उनका विश्वास आप प्राप्त करें. इसमें आप एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और आप निभाते भी है, लेकिन उसे और अधिक गंभीरतापूर्वक निभाने की आवश्यकता है.
हुआ था आतंकी हमला
सुरनकोट इलाके में 21 दिसंबर को ढेरा की गली और बफलियाज के बीच धत्यार मोड़ पर आतंकवादियों ने सेना के वाहनों पर घात लगाकर हमला किया था जिसमें चार सैनिक शहीद हो गए थे और तीन अन्य घायल हो गए.
हमले के बाद तीन नागरिकों सफीर हुसैन (43), मोहम्मद शौकत (27) और शब्बीर अहमद (32) को कथित तौर पर मामले में पूछताछ के लिए सेना ने हिरासत में लिया था और 22 दिसंबर को वे मृत पाए गए. इसके बाद सोशल मीडिया मंच पर वीडियो क्लिप वायरल हुआ था जिसमें कथित तौर पर दिखाई दे रहा है कि उन्हें यातना दी जा रही है.
आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान राजौरी के थानामंडी इलाके में सैनिकों की कथित तौर पर पिटाई के बाद चार लोगों मोहम्मद जुल्फकार, उनके भाई मोहम्मद बेताब, फजल हुसैन और मोहम्मद फारूक को जीएमसी अस्पताल, राजौरी में भर्ती कराया गया था.