मुलायम सिंह यादव की तत्कालीन सपा सरकार में राम भक्ति एक अपराध था। ये कहना है, उस समय जेल भेजे जाने वाले कार सेवकों का। उनका बाकायदा चालान काटकर जेल भेजा जाता था और अपराधी का प्रमाण पत्र दिया जाता था। उस प्रमाण पत्र पर लिखा जाता था राम भक्ति चालान। अलीगढ़ जिले में करीब 400 लोगों के इस तरह के चालान किए गए थे।
कारसेवक मनोज अग्रवाल, अर्जुन देव वार्ष्णेय और अनुराग वार्ष्णेय बताते हैं कि सन 1990 का दौर था। अयोध्या में कारसेवा करने के लिए पूरे देश से कारसेवकों का जत्था उमड़ पड़ा था। प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे। शासन का आदेश था कि अयोध्या में व्यक्ति, क्या कोई परिंदा भी पर न मार पाए। इसके बाद कारसेवा करने जा रहे लोगों की गिरफ्तारी शुरू हुई।
अलीगढ़ में सैकड़ो कारसेवकों को पुलिस ने जेल में ठूंस दिया था और जब वह जेल से रिहा हुए तो उनको एक प्रमाण पत्र दिया गया, जिस पर अपराध वाले कॉलम में लिखा था राम भक्ति चालान। प्रमाण पत्र दिखाते हुए कार सेवक मनोज अग्रवाल अर्जुन देव वार्ष्णेय और अनुराग वार्ष्णेय ने बताया कि जब जेल से रिहा हुए थे, तब जेलर ने उनको ये प्रमाण पत्र दिए थे। उन्होंने बताया कि आज पूरे विश्व के सनातनियों का राम मंदिर बनने का सपना साकार होने जा रहा है।
तब तिलक लगाने पर भी भय लगता था
1990 में विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में कारसेवा का आह्वान किया था, हमारा भी डेढ़ सौ लोगों का जत्था था। केशव नगर से रेलवे स्टेशन के लिए निकला। हमें रास्ते में रोककर गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया गया। यदि कोई भगवा पटका पहनकर निकल जाता था तो उसको शक से देखा जाता था, जो संदिग्ध लगता था तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाता था। तिलक लगाने से भय लगता था। चालान काटकर राम भक्ति चालान का प्रमाण पत्र दिया जाता था। – मनोज अग्रवाल।
10 दिनों तक जेल में बंद रखा गया था
यह वाकया 28 अक्तूबर 1990 का है। उस समय हम लोगों का एक जत्था अयोध्या जा रहा था। इस दौरान हमको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। हमारे साथ करीब डेढ़ सौ कार्यकर्ता थे। हमको गिरफ्तार कर जेल भेज भेज दिया गया। हमें 10 दिनों तक जेल में बंद करके रखा गया। छूटने के बाद जिला प्रशासन की तरफ से हमें प्रमाण पत्र दिया गया, जिसमें लिखा था राम भक्ति यानी जिस धारा में हम बंद थे, वह राम भक्ति थी। – अर्जुन देव वार्ष्णेय
पैर तोड़कर दीं यातनाएं, फिर जेल भेजा
– उस वक्त हम लोग राम मंदिर के लिए अयोध्या गए थे। अयोध्या जाने वाले रास्ते में पुलिस ने पकड़ने की कोशिश की। मैं विश्व हिंदू परिषद के ग्रुप में गया था। पुलिस ने पकड़ने की कोशिश की तो बचकर स्टेशन की तरफ चला गया। बाद में मुझे ट्रेन में पकड़ लिया और डंडा मार कर मेरा पैर तोड़ दिया।
इसके बाद बन्ना देवी थाने लाया गया और वहां मुझे एक दिन रखा, जो प्रताड़ना दे सकते थे, वह दी गई। फिर चालान कर मुझे जेल भिजवाया गया। जेल में टूटे हुए पैर के साथ मैंने समय काटा। उस समय प्रमाण पत्र दिया गया था कि राम मंदिर के लिए हम लोग गए थे। 11-12 दिन जेल में रहे थे। -अनुराग वार्ष्णेय