राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बोले- कांग्रेस समारोह में शामिल ना होने के लिए बना रही बहाने

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अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी ने शामिल होने से इनकार कर दिया है। पार्टी के इस फैसले की चारो तरफ आलोचना हो रही है। बीजेपी समेत कई अन्य दलों के नेता भी कांग्रेस के इस रुख की आलोचना कर रहे हैं। इसके साथ ही कांग्रेस के कई नेता ही आलाकमान के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं। अब इसके बाद राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सतेन्द्र दास ने कांग्रेस पार्टी पर हमला बोला है।

‘अयोध्या में सब कुछ शास्त्रों और मर्यादाओं के अनुसार हो रहा’

आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि सबसे पुरानी पार्टी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होने के लिए बहाने बना रही है। वहीं उन्होंने कहा कि अयोध्या में सब कुछ शास्त्रों और मर्यादाओं के अनुसार हो रहा है। उन्होंने कहा कि जो लोग कह रहे हैं कि मंदिर का निर्माण अधूरा है और ऐसी स्थिति में प्राण प्रतिष्ठा नहीं करनी चाहिए तो वह गलत हैं। आचार्य ने कहा कि सब कुछ शास्त्रों के अनुसार किया गया है। कांग्रेस समारोह में शामिल न होने के लिए केवल बहाने दे रहे हैं।

‘हम शंकराचार्यों के दृष्टिकोण और विचारों पर सवाल नहीं उठा सकते’

वहीं अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शंकराचार्यों के शामिल नहीं होने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, “हम शंकराचार्यों के दृष्टिकोण और विचारों पर सवाल नहीं उठा सकते। मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता।” वहीं राम मंदिर का कुछ राजनीतिक दलों के द्वारा राजनीतिक लाभ उठाने पर उन्होंने कहा कि  यह राजनीति और धर्मनीति है। भाजपा ने  भगवान राम को अपना बना लिया, और आज उनके पास उनके भगवान राम हैं।

कांग्रेस पार्टी ने ठुकरा दिया था निमंत्रण

बता दें कि इससे पहले, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के नेता विपक्ष, अधीर रंजन चौधरी ने 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन के निमंत्रण को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि यह भाजपा और आरएसएस का आयोजन है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 22 जनवरी को दोपहर में राम मंदिर के गर्भगृह में राम लला को विराजमान करने का निर्णय लिया है। वहीं अयोध्या में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए वैदिक अनुष्ठान मुख्य समारोह से एक सप्ताह पहले 16 जनवरी को शुरू होंगे।

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