रामलला के मूर्तिकार अरुण योगीराज बोले- शायद ये मेरी तकदीर में लिखा था

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अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हो चुका है। मंदिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा पूरी हो गई है। पूरे देश में इस बात का उस्तव मनाया जा रहा है। मंदिर के लिए देशभर से लाखों लोगों ने अपना-अपना योगदान दिया है। हालांकि, जिस इंसान ने सबसे ज्यादा चर्चा बटोरी है वो हैं रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज। कर्नाटक के रहने वाले  41 साल के अरुण योगीराज ने रामलला की मूर्ति को इतना भव्य बनाया है कि हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है।

ये हमारी तकदीर में लिखा था- अरुण योगीराज

मैं खुद को दुनिया का सबसे भाग्यशाली इंसान समझता हूं। यह मौका मिलने के लिए मैं अपने पूर्वजों, माता-पिता और कुल देवता को प्रणाम करना चाहता हूं। इस उम्र में इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलना बहुत मुश्किल है और यह ईश्वर की कृपा ही है कि हमारी मूर्ति सिलेक्ट हुई। इसे देश के लोग भी पसंद कर रहे हैं, यह बहुत बड़ी बात है। शायद ये हमारी तकदीर में लिखा था।’

होमवर्क क्या किया?

‘मेरा पहला लक्ष्य पूरे देश को एक सूत्र में जोड़ना था। मैं दक्षिण भारत से हूं, कर्नाटक से हूं, लेकिन मूर्ति बनाते वक्त मेरे मन में सिर्फ एक बात थी कि मैं सिर्फ एक भारतीय हूं। क्षेत्र का असर कला पर पड़ता है और पहले से रामलला पर बनाया गया कोई रेफरेंस भी नहीं मिलता है। मैंने पूरे देश की मूर्तिकला का अध्ययन किया, आभूषणों का अध्ययन किया, मूर्ति के हर भाग के बारे में रिसर्च किया। प्रतिमा बनाने में सबसे ज्यादा चेहरे को लेकर दिक्कत आती है, इसके लिए बच्चों के चेहरे को स्टडी किया।’

Kumar Aditya: Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.