नवादा में खेत की खुदाई के दौरान मिली गजलक्ष्मी की दुर्लभ मूर्ति, ऐतिहासिक दृष्टिकोण से है महत्वपूर्ण

GridArt 20240613 132242330

बिहार के जमुई जिले के मेसकौर प्रखंड के कोपिन गांव में मिट्टी खुदाई के दौरान गजलक्ष्मी की मूर्ति मिली है, जो काफी प्राचीन है. ईंट बनाने के लिए एक किसान के खेत में मिट्टी की खुदाई कर रहा था, तभी मूर्ति मिली हालांकि यह मूर्ति खंडित है. ग्रामीण प्रेम प्रसाद यादव ने बताया कि वह अपने खेत में मिट्टी की खुदाई कर रहे थे तभी उन्हें मूर्ति मिली।

“खेत की खुदाई कर रहा था तभी एक पत्थर मिला, उसे निकालने का प्रयास किया लेकिन वो काफी नीचे तक था. जिसके बाद साइड से खुदाई की तो पता चला की मूर्ति है. यह एक गजलक्ष्मी की मूर्ति है.”-प्रेम प्रसाद यादव, ग्रामीण

खेत से मिली दुर्लभ मूर्ति: करीब तीन-चार फीट खुदाई के बाद कई लोगों की मदद से इस मूर्ति को गड्ढे से बाहर निकाला गया. फिर उसे गांव के शिव मंदिर में स्थापित कर दिया गया है. जिसके बाद से से लोगों ने पूजा अर्चना शुरू कर दी है. किसान उदय प्रसाद ने कहा कि यह देवी की दुर्लभ मूर्ति है. पहली दफा इलाके में इस तरह की मूर्ति मिली है. कोपिन में मिली गजलक्ष्मी दूसरी दुर्लभ मूर्ति है, इसके पहले नवादा में एक और गजलक्ष्मी की मूर्ति मिली थी जो आज भी नारद संग्रहालय में संरक्षित है।

मूर्ति ऐतिहासिक दृष्टिकोण से है महत्वपूर्ण: नवादा के सीतामढ़ी इलाका में यह मूर्ति मिली है इसलिए यह काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. सीतामढ़ी को सीता की निर्वासन स्थली माना जाता है. यहां एक दुर्लभ गुफा है. सीता की निर्वासन से जुड़ी कई चीजें है. ऐसे में इस इलाका में मिली गजलक्ष्मी की मूर्ति धार्मिक, पुरातात्विक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

अनोखी है ये मूर्ति: नवादा के कोपिन में मिला गजलक्ष्मी की मूर्ति पालकालीन है. पुरातत्वविद शिक्कुमार मिश्र ने बताया कि गजलक्ष्मी की मूर्ति दुर्लभ हैं. ज्यादातर बैठी हुई मुद्रा में गजलक्ष्मी की मूर्तियां बिहार में देखने को मिलती रही है लेकिन कोपिन में मिली गजलक्ष्मी की मूर्ति खड़ी मुद्रा में हैं. इसे स्थानक मुद्रा कहा जाता है।

“गजलक्ष्मी की मूर्ति को हाथी स्नान करा रहे हैं. गजलक्ष्मी के बर बगल में दो सहायिका हैं, दाहिना स्तन भग्न है. गजलक्ष्मी को संपति की देवी कहा जाता है. धार्मिक कहानी है कि समुद्र में इंद्र की संपति खो गई थी. समुद्र मंथन के लिए गजलक्ष्मी उत्पन्न हुई थी. इसलिए इनकी पूजा धन की देवी के रूप में की जाती है.”-शिक्कुमार मिश्र, पुरातत्वविद

Sumit ZaaDav: Hi, myself Sumit ZaaDav from vob. I love updating Web news, creating news reels and video. I have four years experience of digital media.