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महाशिवरात्रि पर 8 मार्च को बन रहा दुर्लभ सिद्धयोग, पूजा करने की सही विधि से मिलेगा पूर्ण फल

Mahashivratri

महाशिवरात्रि शिव व शक्ति सहित आध्यात्मिक रूप से प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में भी जानी जाती है। शिव भक्तों को इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। महाशिवरात्रि व्रत पूजा प्रदोष काल में प्रारंभ की जाती है इस विशेष दिन पर शिवयोग बन रहा है जो मध्य रात्रि 12:05 तक रहेगा और इसके बाद सिद्धयोग शुरू हो जाएगा।

धनिष्ठा नक्षत्र का बन रहा योग

ज्योतिषाचार्य पंडित दिनकर झा ने बताया कि इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र का भी योग बन रहा है। जो प्रातः 8:12 से दूसरे दिन शनिवार को प्रातः 6:42 बजे तक रहेगा। यह तिथि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि रात्रि में 7:50 बजे व नौ मार्च शनिवार की शाम 5:09 बजे तक ही रहेगा। चंद्रमा कुंभ रात्रि 7:28 से विराजमान रहेगा।

उन्होंने बताया कि चंद्रमास का 14वां दिन अथवा अमावस्या से पूर्व का दिन महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। महाशिवरात्रि पर मंदिरों में जलाभिषेक दिन भर व चार पहर में शिव की पूजा होती है। खासकर मान्यता है कि कुवांरी लड़की के व्रत करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि का उत्सव पूरी रात मनाया जाता है।  उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि आध्यात्मिक राह पर चलने वाले साधकों के लिए काफी महत्व रखती है।

चार प्रहर में पूजन का विधान

महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त आठ मार्च शुक्रवार निशिता काल रात 12:02 से 12:55 बजे तक है। शिवरात्रि पर चार प्रहर में चार बार पूजन का विधान आता है। इसीलिए चार बार रुद्राभिषेक भी संपन्न करना चाहिए। पहले प्रहर में दूध से शिव के ईशान स्वरूप का, दूसरे प्रहर में दही से अघोर स्वरूप का,तीसरे प्रहर में घी से बामदेव रूप का और चौथे प्रहर में शहद से सदयोजात स्वरूप का अभिषेक कर पूजा करना चाहिए।

महाशिवरात्रि व्रत का है विशेष महत्व

महाशिवरात्रि के दिन शिव की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से कुंवारी कन्या को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषाचार्य पंडित दिनकर झा ने बताया कि अगर कन्या का विवाह काफी समय से नहीं हो रहा हो या किसी भी तरह की बाधा आ रही हो तो उसे महाशिवरात्रि का व्रत करना चाहिए। इस स्थिति के लिए यह व्रत बेहद फलदायिनी माना गया है। इस व्रत को करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही हमेशा सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।