Voice Of Bihar

खबर वही जो है सही

इस मंदिर में महादेव से पहले होती है रावण की पूजा, पढ़ें इसकी रोचक कहानी

GridArt 20240117 121353060 jpg

राजस्थान में एक ऐसा मंदिर है, यहां भक्तों के द्वारा भगवान शिव की पूजा से पहले उनके भक्त राक्षस राज रावण की वंदना की जाती है।

हमारे देश में कई ऐसे आश्चर्यचकित करने वाले मंदिर आदि मौजूद हैं, वहां की परंपरा और रीति रिवाज पर एकदम से विश्वास नहीं होता है। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान में स्थित है। जहां लोग भगवान शिव की पूजा करने के लिए जाते हैं, लेकिन उनकी पूजा से पहले लोग लंकापति रावण की प्रतिमा के समाने अपना मस्तक झुकाते हैं।

इस मंदिर को लोग कमलनाथ महादेव मंदिर के नाम से जानते हैं। यह प्रसिद्ध मंदिर आवरगढ़ की पहाड़ियों पर झाड़ोल क्षेत्र में स्थित है और उदयपुर से 70 किलोमीटर की दूरी पर है।

मान्यता है कि इस स्थान पर लंकापति रावण ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए तप किया था। महादेव की पूजा करते समय रावण ने भगवान शिव को 108 पुष्प अर्पित करने का संकल्प लिया। मान्यता है कि पूजा करते समय एक पुष्प कम पड़ गया और रावण ने उस पुष्प के बदले महादेव को अपना मस्तक काटकर चढ़ा दिया। तभी से यह स्थान कमलनाथ महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

पौराणिक मान्यता है कि इसी स्थान पर महादेव ने रावण को दशानन अर्थात दस मुख वाला होने का वरदान दिया था और उसकी नाभि में अमृत कुंड स्थापित कर दिया था। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महाराणा प्रताप के वंश के राजाओं ने कराया था। मंदिर तक पहुंचने के लिए दुर्गम पहाड़ियों को पार कर दो किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचना पड़ता है। यहां वैशाख के महीने में एक विशाल मेला भी लगता है।

मान्यता है कि इस मंदिर में स्थित कुंड से एक जलधारा हर वक्त बहती रहती है। स्थानीय लोग इसी पवित्र जलधारा में अपने वंशजों का अस्थि विसर्जन भी करते हैं। एक पौराणिक मान्यता है कि वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम भी इस स्थान से होकर गुजरे थे।

वहीं कहा जाता है कि हल्दी घाटी युद्ध के बाद महाराणा प्रताप ने भी कुछ दिन इसी स्थान पर छिपकर बिताए थे। मान्यता है कि कमलनाथ महादेव मंदिर रावण को शीश झुकाने के बाद जो भी व्यक्ति महादेव की पूजा करता है, महादेव उसकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं।


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading