शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन विजयादशमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। विजयादशमी को दशहरा के नाम से भी जानते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है साथ ही असत्य पर सत्य की विजय प्राप्त किया जाता है। दशहरा में रावण की पुतला जलाई जाती है। हिंदू धर्म में रावण को खलनायक के रूप में देखा जाता है, लेकिन क्या आपको पता है भारत के कुछ ऐसे भी गांव है, जहां पर दशहरा के दिन रावण की विधि-विधान से पूजा की जाती है। तो आइए आज इस खबर में जानेंगे भारत के ऐसे 4 स्थान जहां पर रावण को भगवान की दर्जा दी गई हो और विधि-विधान से पूजा की जाती है।
कानपुर के दशानन मंदिर
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कानपुर में 100 साल से भी ज्यादा पुराना दशानन का मंदिर है। मान्यता है कि दशानन का मंदिर साल में एक बार दशहरे के दिन ही खुलता है। यहां पर लोग रावण की विधि-विधान से पूजा करते हैं। मंदिर की इतिहास की बात करें, तो यह मंदिर 1890 में राजा गुरु प्रसाद शुक्ल के द्वारा बनवाया गया था। दशानन मंदिर में लोग रावण को श्रद्धांजली अर्पित करते हैं, साथ ही सभी लोग भगवान शिव का अनुयायी भी मानते हैं।
राजस्थान के जोधपुर में रावण के मंदिर
राजस्थान के जोधपुर के कुछ क्षेत्रों में रावण की विधि-विधान से पूजा की जाती है। खास बात यह है कि यहां न सिर्फ दशहरे के दिन पूजा होती है बल्कि हर दिन पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण का विवाह मंडावर राजा की बेटी मंदोदरी से हुआ था, जिसे अब मंडोर के नाम से जाना जाता है। रावण के समय मंडोर राज्य सरस्वती नदी के किनारे स्थित था। मान्यता है कि जोधपुर के विशिष्ट क्षेत्रों में रावण के निधन पर जश्न मनाया जाता है और पुतला दहन को देखने से बचते हैं।
विदिशा के रावण मंदिर
रावण के नाम पर रावन ग्राम गांव का नाम रखा गया है। इस गांव में रावण का प्रसिद्ध मंदिर हैं। मान्यता है कि रावण के इस मंदिर में भक्त अच्छी-खासी संख्या में दर्शन करने आते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में रावण की मूर्ति 10 फीट लंबी हैं। इस मंदिर में दशहरा उत्सव पर लोगों की भीड़ देखने को मिलती है। साथ ही भक्त रावण की पूजा भी करते हैं। जो काफी महत्वपूर्ण होता है।
उत्तर प्रदेश के बिसरख में रावण मंदिर
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रावण का जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव में माना गया है। इस गांव में राजा रावण की एक प्रमुख मंदिर हैं साथ ही रावण के मंदिर में देश-विदेश से पूजा करने के लिए लोग आते हैं। मान्यता है कि बिसरख गांव में रावण को बहुत ज्यादा सम्मान दिया जाता है साथ ही दशहरा के दिन रावण की पुतला न जलाकर बल्कि विधि-विधान से पूजा भी करते हैं। कहा जाता है कि बिसरख शहर में नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान शोक की अवधि के रूप में मनाया जाता है।