वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार ने राम मंदिर पर अपना तंज कसा है और कहा IIM के बंदे व बंदियों को नौकरी नहीं मिल रही। ऐसी विध्न संतोषी रिपोर्ट से सावधान रहें। यहाँ प्रधानमंत्री यम-नियम का पालन कर रहे हैं और ये लोग नौकरी की चिंता कर रहे हैं। नौकरी का नहीं मिलना रोज़ की घटना है। राम का आना रोज़ की घटना नहीं है। यही मौक़ा है कि IIM में LED स्क्रीन लगाकर प्राण प्रतिष्ठा का प्रसारण अनिवार्य करना चाहिए। सभी अदालतों के भीतर भी अनिवार्य करना चाहिए। तीनों चीज़ें अवश्य हों। हवन, पाठ व सीधा प्रसारण। कोर्ट क्यों अलग रहे? मुझे हैरानी है कि अदालतों के लिए ऐसा आदेश क्यों नहीं आया है। राम पूछ रहे हैं। राम आ रहे हैं।
एक गंभीर सुझाव है। हर IIM में मंदिर पर्यटन और प्रबंधन का कोर्स होना चाहिए। जिसका अंग्रेज़ी में संक्षिप्त नाम TTM Temple Tourism and Management होना चाहिए। पहले से ऐसा कोर्स है तो ठीक, नहीं है तो आज से सबको इसी में लगा देना चाहिए। भारत के युवाओं को MNC में नौकरी करने का लोभ छोड़ना ही होगा। MNC में नौकरी करने से चारित्रिक पतन होता है। राष्ट्रवाद कमज़ोर होता है । एक सच्चा भारतीय विदेश में बस जाता है। आप लोग भी इसी तरह की बातें किया करें। हाँ में हाँ मिलाने वाले बहुत मिलेंगे। नेशन का अच्छा टाइम कटेगा और आपका भी।
इस समय अख़बारों में कूड़ा छपने के अलावा ऐसी कोई ख़बर ग़लती से न छपे। जिससे लगे कि पढ़ाई की हालत बुरी है, नौकरी नहीं मिल रही है और एयरपोर्ट पर यात्रियों को तकलीफ़ है। गोदी चैनलों ने सही रास्ता पकड़ा है। पत्रकार और पुजारी में फ़र्क़ मिट गया है। यही वक्त है कि पुजारी को पत्रकार बना देना चाहिए।
जहां मीडिया की पढ़ाई होती है, वहाँ वैदिक पत्रकारिता का कोर्स होना चाहिए। भारत के चैनलों में एक भी योग्य प्राण प्रतिष्ठा संपादक नहीं है। प्राण प्रतिष्ठा ब्यूरो चीफ़ नहीं है। प्राण प्रतिष्ठा इनपुट एडिटर नहीं है। धर्म तंत्र में बिना मंत्र जाप योग्यता के कोई पत्रकार न बने। बजट और सीएजी की रिपोर्ट से ज़्यादा पत्रकारों को अब इसी में ज़्यादा मन लग रहा है।
पत्रकारिता के बाक़ी बचे अंश का ठीक से और जल्दी सत्यानाश हो इसी में राष्ट्र की भलाई है। असली पत्रकार तो हाउसिंग सोसायटी का व्हाट्स एप गिरोह कर रहा है। अंकिल सबने कमाल का काम किया है।