आरसीपी ने ‘आसा’ के पदाधिकारियों का किया ऐलान, प्रीतम सिंह बने बिहार प्रदेश अध्यक्ष, पंचम बने मुख्य प्रवक्ता

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पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह उर्फ आरसीपी सिंह ने मंगलवार को अपनी पार्टी ‘आसा’ यानी ‘आप सबकी आवाज’ के पदाधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर ली. आरसीपी सिंह ने 31 अक्टूबर 2024 को अपनी नई पार्टी ‘आसा’ की घोषणा की थी. आरसीपी सिंह ने आसा के उपाध्यक्ष सह मुख्य प्रवक्ता के रूप में लेफ्टिनेंट कर्नल कुमार सनातन उर्फ पंचम श्रीवास्तव को जिम्मेदारी सौंपी है. प्रीतम सिंह को बिहार का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. इसके अतिरिक्त जितेन्द्र प्रसाद को महाराष्ट्र का, मुकेश कुमार को राजस्थान का और शिशिर कुमार साह को दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. आरसीपी सिंह ने आसा के उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, महासचिव, आदि के नामों की घोषणा की.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के करीब एक साल पहले पूर्व नौकरशाह आरसीपी सिंह ने अपनी नई पार्टी का गठन किया. ‘आसा’ नाम की उनकी पार्टी का गठन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़ी चिंता का कारण हो सकता है. इसका एक प्रमुख कारण आरसीपी सिंह का कुर्मी जाति से आना है. नीतीश कुमार भी कुर्मी जाति से आते हैं. ऐसे में जिस कुर्मी जाति के वोटों पर अपनी मजबूत पकड़ का दावा नीतीश कुमार करते हैं उसमें अगर सेंधमारी करने में आरसीपी सिंह सफल हो जाते हैं तो इसका सीधा नुकसान नीतीश कुमार और जदयू को होना तय है. इतना ही नहीं आरसीपी और नीतीश के बीच दशकों का साथ रहा है. ऐसे में आरसीपी नीतीश की नीतियों को भली भांति जानते हैं.

बिहार में कुर्मी जाति की आबादी 2.87 फीसदी हैं. खासकर नीतीश कुमार और आरसीपी दोनों के नालंदा से आने के कारण यहाँ के कुर्मी मतदाताओं पर इन दोनों के पकड़ मानी जाती है. इतना ही नहीं कुछ अन्य कुर्मी बहुल इलाकों पर में भी आरसीपी ने पिछले कुछ समय के दौरान लगातार अपनी सक्रियता बढाई है. ऐसे में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव 2025 में अगर कुछ कुर्मी बहुल विधानसभा क्षेत्रों में आरसीपी के उम्मीदवार वोटों को काटने में सफल रहते हैं तो इसका सीधा नुकसान जदयू को हो सकता है.

‘आप सबकी आवाज’

आरसीपी की पार्टी का नाम ‘आप सबकी आवाज’ है. आप सबकी आवाज का शोर्टफॉर्म ‘आसा’ रखा गया है. वहीं पार्टी के झंडे में 3 रंग शामिल किये गये हैं. इसमें झंडे में सबसे ऊपर हरा, बीच में पीला, नीचे नीला रंग होगा. आरसीपी सिंह ने कहा कि ‘जब चुनाव आयोग हमें पार्टी सिंबल देगा तो बीच के पीले रंग वाले हिस्से में पार्टी का लोगो काले रंग से आएगा.

कौन हैं आरसीपी 

6 जुलाई 1958 को बिहार के नालंदा में जन्मे आरसीपी सिंह, यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी रहे. उनको दो बेटियां हैं, लिपि सिंह 2016 बैच की आईपीएस तो दूसरी बेटी लता वकील हैं. 1996 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव बने. बाद में नीतीश कुमार रेलमंत्री बने थे तो उन्होंने आरसीपी सिंह को विशेष सचिव बनाया. नवंबर 2005 में नीतीश कुमार बिहार के सीएम बने तो आरसीपी सिंह को प्रमुख सचिव बनाया . वहीं 2010 में आरसीपी सिंह ने वीआरएस लिया. जेडीयू ने उन्हें 2010 राज्यसभा के लिए नामित किया. 2016 में पार्टी ने उन्हें फिर से राज्यसभा भेजा. वहीं दिसंबर 2020 में आरसीपी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने.

2021 में नरेन्द्र मोदी सरकार में केंद्रीय इस्पात मंत्री बनाए गए. इसके बाद ही नीतीश कुमार और ललन सिंह के साथ आरसीपी की दूरियां बढ़ी. अततः 2022 में जेडीयू ने उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया. वहीं मई 2023 में आरसीपी बीजेपी में शामिल हो गए. नीतीश कुमार जनवरी 2024 में एनडीए में वापस लौटे तो बीजेपी ने आरसीपी को किनारा कर दिया. अब आरसीपी ने अपनी अलग पार्टी बना ली है.

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