कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने कहा है कि उन्हें अब भी पूरी उम्मीद है कि सीटों के बंटवारे को ‘बहुत जल्द’ अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
सचिन पायलट से जब यह पूछा गया कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है तो पायलट ने जवाब दिया: ‘जहां तक सीट शेयरिंग की बात है तो हर क्षेत्रीय पार्टी का महत्व है। चाहे वह बंगाल हो, महाराष्ट्र, बिहार या पंजाब हो, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर अगर भाजपा को कोई चुनौती दे सकता है तो वह नेशनल कांग्रेस पार्टी है। हम सब समझते हैं कि हमको कुछ ना कुछ करना पड़ेगा। सीट शेयरिंग के लिए हम तैयार हैं क्योंकि जम्हूरियत के लिए, लोकतंत्र के लिए यह चुनाव जीतना जरूरी है। एक मजबूत विपक्ष ही लोकतंत्र को चला सकता है। इसलिए ‘इंडिया’ का जो हमारा गठबंधन हुआ है वह मुद्दों को लेकर हुआ है और बहुत जल्द सारे मामलों को सुलझा करके हम लोग सीट शेयरिंग कर लेंगे।”
लेकिन समय कम बचा है और अभी यह तय नहीं हो पाया कि इस अलायंस का संयोजक कौन होगा? प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा?
सचिन पायलट : ‘बहुत पहले निर्णय लिया गया था कि हम किसी पद की महत्वकांक्षा रखते हुए नेतागिरी नहीं करेंगे। कौन किस पद पर बैठेगा, इस बात का निर्णय समय पर लिया जाएगा। पहला उद्देश्य है कि हम एकजुटता बनाएं। यह आसान नहीं है। मैं आपको बताना चाहता हूं कि इतने सारे दल हैं, अलग-अलग पृष्ठभूमि है, लोगों के सोचने का तरीका अलग-अलग है। कई बार हम आपस में लड़ते भी हैं, एक दूसरे के सामने। आप कल्पना कीजिए इतने बड़े देश में अलग-अलग पार्टी को साथ लेकर आना और स्मूथली उसको आगे ले जाना कोई आसान काम नहीं है। लेकिन सबको लगा कि यह एकजुटता और एकता जरूरी है। इसलिए इंडिया अलायंस का गठन हुआ और मुझे लग रहा है कि इंडिया अलायंस के गठन से विपक्ष की जो एकता है वह अगर मजबूती से आगे बढ़ती है तो एनडीए के साथ एक अच्छा चुनावी मुकाबला होगा। और यह मत भूलिए कि एनडीए के जो पार्टनर थे अकाली दल, शिवसेना, जेडीयू, सब बीजेपी को छोड़कर चले गए। अब बीजेपी को लगता है कि अपने दम पर पूरा मैदान फतह कर लेंगे तो लोकसभा चुनाव में पता चल जाएगा।’
ममता बनर्जी की इस टिप्पणी पर कि कांग्रेस को वामपंथियों द्वारा चलाया जा रहा है जिसके खिलाफ उन्होंने 34 वर्षों तक लड़ाई लड़ी, सचिन पायलट ने कहा: ‘मैं उनकी बात से सहमत नहीं हूं। ममता जी बड़ी सम्मानित नेता हैं और कई बार बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं। उनका बंगाल के अंदर एक अलग स्ट्रक्चर है। इंडिया अलायंस में सबकी बराबर की हिस्सेदारी है। बंगाल में सीट शेयरिंग कैसे होगा, उस पर चर्चा कर रहे हैं। परिणाम बहुत जल्द निकलेगा। लेकिन जो उद्देश्य है कि इंडिया अलायंस के जो सहयोगी हैं, आप उन सभी पार्टियों का वोट अगर जोड़ेंगे तो 60 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिला। और जो एनडीए के पार्टनर थे उनको 35 प्रतिशत से कम वोट मिला था। तो भाजपा को यह चिंता है कि अगर इंडिया अलायंस के सारे सहयोगी साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो कुछ भी हो सकता है। इसलिए वे इंडिया अलायंस की यूनिटी से ज्यादा चिंतित हैं। ”
अडानी और कांग्रेस
जब यह पूछा कि पिछले 9 साल से राहुल गांधी अडानी का नाम ले रहे हैं। वह कहते हैं कि मोदी जी ने अडानी जी को एयरपोर्ट दे दिए, उनको जमीन दे दी, उनका फेवर किया, उनको पोर्ट्स दे दिया। लेकिन तेलंगाना में कांग्रेस के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने सरकार बनते ही 12,400 करोड़ पहला एग्रीमेंट अडानी के साथ साइन किया है।
इस पर सचिन पायलट ने जवाब दिया:’कोई भी उद्योगपति या कोई भी इंडस्ट्री अगर किसी कॉम्पिटिशन में, किसी बिडिंग में क्वालीफाई करता है और वह राज्य में इन्वेस्ट करता है तो कोई भी राज्य सरकार चाहेगी कि पैसा आए, निवेश और रोजगार मिले, उद्योग लगे। इसमें कुछ गलत नहीं है। लेकिन अगर आप नियम कानून को ताक पर रखकर ऐसा कोई रास्ता निकालें कि देश की खदानें, बिजलीघर, हवाई अड्डे, पोर्ट, रेलवे सब कुछ एक या दो लोगों को देना चाहें तो यह देश की संपत्ति है, उसका एक ट्रांसपैरेंट तरीके से काम होना चाहिए। हमारा सवाल सिर्फ इतना है कि अगर कुछ ऐसा हो रहा है, जिसमें शक की गुंजाइश है तो कृपया करके पारदर्शिता बरती जानी चाहिए। ट्रांसपैरेंट काम हो।’