बिहार के बांका के भदरिया पुरातात्विक स्थल में बिहार विरासत विकास समिति एवं पुरातत्व निदेशालय ने भूमि पूजन कर उत्खनन कार्य शुरू कर दिया है. उत्खनन निदेशक डॉ अरूण कुमार के नेतृत्व में बिहार विरासत समिति के सदस्यों ने नदी के भूगर्भ में छिपे संभावित पुरातात्विक अवशेष स्थल 10 स्ट्रेच को चिन्हित कर, लोहा एवं लकड़ी के कील से सुरक्षित किया।
ग्रीड सिस्टम से खुदाई
इन जगहों के एक हिस्से में मजदूरों ने ग्रीड सिस्टम से खुदाई कार्य शुरू किया गया. शुरुआती खुदाई में ही प्राचीन ईंट के टुकड़े और मृदुभांड़ के ठीकरे व पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़ों का अवशेष मिला, जिसे संग्रहित कर रखा गया. बताते चलें कि वर्ष 2020 में छठ पूजा के लिए घाट तैयार करने के दौरान प्राचीन ईंट के लगभग तीन-चार फीट का दीवार मिला था।
2020 में मिले थे पुरातात्विक अवशेष
बिहार विरासत विकास समिति द्वारा जांच में लगभग ढ़ाई हजार वर्ष पूर्व पुरातात्विक अवशेष होने का संकेत मिला. इसपर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी 12 दिसंबर 2020 को भदरिया आकर पुरातात्विक स्थल का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान प्राचीन अवशेष होने के संकेत पर उसे संरक्षित करने के लिए नदी में रिंग बांध बनाने के लिए जल संसाधन विभाग को आदेश दिया।
नदी में रिंग बांध का निर्माण
जल संसाधन विभाग ने भी पुरातात्विक स्थल के पूरब दिशा में नदी में रिंग बांध का निर्माण कर दिया है. चांदन के गर्भ में छिपे पुरातात्विक अवशेष के इतिहास से पर्दा हटाने के लिए कानपुर आईआईटी के आधा दर्जन सदस्यों ने नदी के विभिन्न जगहों पर ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और अन्य अत्याधुनिक यंत्र से सर्वेक्षण किया. सर्वेक्षण में मिले अवशेष 26 सौ वर्ष पूर्व होने का संकेत मिला. इसमें हिंदू पौराणिक कथाओं और बौद्ध धर्म से जुड़े भदरिया गांव की पौराणिकता को भी बल मिला।
उत्खनन शुरू होने से लोगों में खुशी
एक पखवाड़ा पूर्व ही कला संस्कृति और युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर ने भी उत्खनन की जानकारी दी थी. उत्खनन शुरू होने से भदरिया, रामचंद्रपुर सहित आसपास के गांवों के लोग काफी उत्साहित हैं. भदरिया के डॉ. आलोक प्रेमी ने बताया कि “बांका बौंसी के मंदार पहाड़ी का हिंदू पौराणिक कथाओं में भी कई संदर्भ है. इसके अलावा प्राचीन बौद्ध साहित्य एवं अन्य इतिहासकार की पुस्तकों में भदरिया का उल्लेख भगवान बुद्ध के स्वयं पहुंचने एवं उनकी शिष्या विशाखा का जिक्र है.”