हिंदी और मैथिली की प्रख्यात लेखिका पद्मश्री उषा किरण खान का निधन, दीघा घाट पर होगा अंतिम संस्कार

Usha Kiran Khan

अपनी जीवंत रचनाओं से साहित्य को समृद्धशाली बनाने वाली मैथिली और हिंदी की प्रख्यात साहित्यकार पद्मश्री डॉ. उषा किरण खान का निधन शनिवार को हो गया। उनके निधन की खबर से साहित्य प्रेमी सहित साहित्यकारों में शोक की लहर दौड़ गई है।

महिला, गांव और किसानों पर जीवंत उपन्यास लिखने वाली वरिष्ठ लेखिका का जन्म दरभंगा जिले के हायाघाट प्रखंड अंतर्गत मझौलिया गांव में वर्ष 1945 में हुआ था।

उनके पिता जगदीश चौधरी स्वतंत्रता सेनानी थे। बाल्य काल में वे अपने ननिहाल दरभंगा के हनुमाननगर प्रखंड स्थित पंचोभ गांव चली गई थीं, जहां उनका पालन, पोषण सहित शिक्षा-दीक्षा हुई। मैथिली साहित्य में स्थापित होने के बाद उन्होंने हिंदी साहित्य की ओर अपना कद बढ़ाया।

2011 में ‘भामति’ के लिए मिला साहित्य अकादमी पुरस्कार

वर्ष 2011 में पद्मश्री उषा किरण खान ने मैथिली उपन्यास ‘भामति’ एक प्रेम कथा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता।यह पुरस्कार राष्ट्रीय साहित्य अकादमी द्वारा प्रदान किया गया था। वर्ष 2012 में उनके उपन्यास ‘सिरजनहार’ (मैथिली) के लिए भारती सांस्कृतिक संबद्ध परिषद ने पुष्पांजलि साहित्य सम्मान से सम्मानित किया।

2015 में भारत सरकार ने ‘पद्मश्री’ से किया सम्मानित

वर्ष 2015 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्मश्री’ सम्मान से सम्मानित किया। नारी विमर्श की इस सख्त लेखिका ने मिथिला और बिहार ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय सांस्कृतिक मर्यादा को भी देश-विदेश तक पहुंचाया है। अमेरिका, रूस और मारीशस आदि देशों में रहने वाले मैथिलों के बीच भी इनके साहित्य का प्रकाश इनके व्यक्तित्व के साथ प्रकाशित होता रहा है।

उषा किरण का परिवार

बता दें कि उनके पति सुपौल-बिरौल निवासी रामचंद्र खां वर्ष 1968 से 2003 तक भारतीय पुलिस सेवा में अपनी सेवा दी। रामचंद्र खां दरभंगा के भी प्रशासनिक पदाधिकारी रह चुके हैं। उनके चार बच्चे हैं।

डॉ. उषा करण खान के कथा साहित्य में वर्तमान समाज विषय पर शोध करने वाले जनता कोशी महाविद्यालय बिरौल के सहायक प्राध्यापक डॉ. शंभू कुमार पासवान ने कहा कि पद्मश्री उषा करण खान की रचनाओं में गांव, किसान, धान कुंटती महिलाएं, जाता पिसता महिलाओं की व्यथाएं देखने को मिलती है।

एक नजर में साहित्यिक परिचय

उपन्यास : पानी पर लकीर, फागुन के बाद, सीमांत कथा, रतनारे नयन(हिंदी) अनुत्तरित प्रश्न, हसीना मंजिल, भामति, सिरजनहार( मैथिली)

कहानी संग्रह : गीली पाक, कासवन, दूबजान, विवश विक्रमादित्य, जन्म अवधि, घर से घर तक (हिंदी) कांचहि बांस (मैथिली)।

नाटक : कहां गए मेरे उगना, हीरा डोम (हिंदी), फागुन, एकसिर, ठाढ़, मुसकौल बला (मैथिली)।

बाल नाटक : डैडी बदल गए हैं, नानी की कहानी, सात भाई, चिड़ियां चुग खेत (हिंदी) घंटी से बान्हल राजू, बिरडो आबिगेल (मैथिली)

बाल उपन्यास : लड़ाकू जनमेजय।

Rajkumar Raju: 5 years of news editing experience in VOB.