वोट के वक्त ‘सम्मान’…असल में ‘अपमान’! HAM ने जारी की तस्वीर….लालू परिवार की ‘सामंती’ सोच को किया बेनकाब

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तेजस्वी यादव मुशहर-भुइयां सम्मेलन करा रहे हैं. इस समाज के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रहे हैं. इसके बाद हिंंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने लालू परिवार की पोल खोल दी है. पार्टी ने कहा है कि लालू परिवार की नजरों में मुशहर- भुइय़ां समाज सिर्फ वोटर है. HAM ने एक तस्वीर जारी किया है. तस्वीर में मुशहर समाज से आने वाले दो लोग लालू यादव के पैर पकड़े हैं.

हिंंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्याम सुंदर शरण ने तस्वीर जारी कर लालू परिवार को घेरा है. तस्वीर में एक महिला और एक पुरूष हैं. हम ने कहा है कि ये हैं सरयू मांझी और प्रभावती देवी. कुर्सी पर बैठे शख्स हैं लोकतंत्र के असली सामंतवादी. सरयू मांझी और प्रभावती देवी मखदुमपुर के रहने वाले हैं.सरयू मांझी नौकरी करते हैं, जबकि प्रभावती देवी जी राजद के कोटे से आयोग की सदस्य रही हैं. इतना कुछ अर्जित करने के बाद भी लालू यादव की नजरों में इन दोनों की जगह कहां है, उसकी गवाह यह तस्वीर है.

हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि, लालू प्रसाद यादव के असली चेहरे से सामंती चेहरा,  वो जो हर चुनाव में “गरीब-पिछड़ा-अति पिछड़ा” का झंडा उठाकर निकलते हैं, लेकिन जब कोई मुसहर भुइयाँ अपनी हैसियत से उठकर सवाल पूछे, तो वही झंडा उल्टा कर मार दिया जाता है. कोई मांझी अगर चुनाव लड़ने की हिम्मत कर लें तो वो “मर्यादा की सीमाएं लांघ रहा है. प्रभावती देवी अगर बोल उठे तो वो “किसी के इशारे पर” बोल रही है….ऐसा क्यों ? क्योंकि असली लोकतंत्र में बोलने का अधिकार सिर्फ उसी को है जो किसी बड़े नेता की गोदी में बैठा हो ?

ये हैं लालू यादव जो खुद को गरीबों का मसीहा कहते हैं, लेकिन मुसहरों को मसीहाई करने का हक नहीं देना चाहते. ये हैं “जनता के नेता”, लेकिन जनता अगर नेता बनने लगे, तो जनता से ही खतरा महसूस करने लगते हैं। अरे भई, मुसहर भुइयाँ से यही चाहते हैं.. झुके रहो, रेंगते रहो, और हर पांच साल पर ताली बजाकर वोट दो. बाकी सब राजनीति ? सच्चाई है कि जीतन राम मांझी का डर आज राजद को सता रहा है. इसलिए सम्मलेन करके झूठे वायदे कर रहे हैं.

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