भारत में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 6.21 प्रतिशत हो गई है। सितंबर में यह 5.49 प्रतिशत थी। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा मंगलवार को यह जानकारी दी गई।
खुदरा महंगाई दर बढ़ने की वजह बीते महीने सब्जियों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी को माना जा रहा है। अक्टूबर में सब्जियों की कीमतों में 42.18 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
आधिकारिक बयान में कहा गया कि अक्टूबर महीने के दौरान दालों, अंडे, चीनी कन्फेक्शनरी और मसाले में महंगाई दर में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है।
अक्टूबर में उच्च खाद्य महंगाई दर की वजह मुख्य रूप से सब्जियों, फलों, तेल और वसा की कीमतों में वृद्धि होना है।
बीते महीने के दौरान खाद्य तेलों की कीमतों में 9.51 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इससे कुल फूड प्राइस इंडेक्स में 10.87 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
सालाना आधार पर हाउसिंग महंगाई दर अक्टूबर में 2.81 प्रतिशत रही है। यह सितंबर में 2.72 प्रतिशत पर थी।
अक्टूबर 2024 महीने के लिए ऑल इंडिया इलेक्ट्रिसिटी इंडेक्स और महंगाई दर क्रमशः 162.5 और 5.45 प्रतिशत रही है। सितंबर 2024 में संबंधित सूचकांक और महंगाई दर क्रमशः 162.4 और 5.39 प्रतिशत थी।
बीते कुछ महीनों में यह पहली बार है, जब रिटेल महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा तय किए गए स्तर 6 प्रतिशत के ऊपर रही है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले हफ्ते कहा था कि आरबीआई विकास को गति देने के लिए नरम तटस्थ मौद्रिक नीति रुख की ओर बढ़ गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ब्याज दर में तुरंत कटौती होगी।
एक मीडिया कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि रुख में बदलाव का मतलब यह नहीं है कि अगली मौद्रिक नीति बैठक में दर में कटौती होगी।
उन्होंने आगे कहा था कि महंगाई के बढ़ने का अभी भी जोखिम बना हुआ है। ऐसे समय में ब्याज दरों में कटौती करना एक जोखिम भरा फैसला हो सकता है।