लोकसभा चुनाव 2024 में महागठबंधन की इस शानदार वापसी के पीछे कई कारण हो सकते हैं. महागठबंधन ने इस बार अपनी रणनीति में बदलाव किया और विभिन्न दलों के बीच तालमेल बेहतर किया. इसके अलावा, महागठबंधन ने जमीनी स्तर पर प्रचार-प्रसार में भी काफी मेहनत की. उनके उम्मीदवारों ने जनता के मुद्दों को प्राथमिकता दी और जनसंपर्क अभियानों को मजबूती से चलाया।
मजबूत विकल्प के रूप में उभरेः विश्लेषकों का मानना है कि महागठबंधन ने इस बार सही उम्मीदवारों का चयन किया और चुनावी मुद्दों को सही ढंग से उठाया. इसके अलावा, महागठबंधन ने अपने घटक दलों के बीच समन्वय को भी सुधारने का काम किया, जिससे वे एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरे. महागठबंधन के नेताओं ने इस जीत को जनता की जीत बताया है. उनका कहना है कि यह जनता का विश्वास है जिसने उन्हें यह सफलता दिलाई है।
“इस बार के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव कामयाब रहे. जिस तरीके से उन्होंने जातिगत आधार पर क्षेत्रवार प्रयोग किया वह सफल साबित हुआ. कुशवाहा वोटो में भी जबरदस्त सेंधमेरी हुई है. भाजपा के मंत्रियों और सांसदों के खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकम्बेंसी था जिसके चलते वह चुनाव हार गए.”- अरुण पांडे, राजनीतिक विश्लेषक
राष्ट्रीय जनता दल ने औरंगाबाद, बक्सर, पाटलिपुत्र और जहानाबाद लोकसभा सीट पर जीत हासिल की. कांग्रेस पार्टी ने सासाराम, कटिहार और किशनगंज लोकसभा सीट पर जीत हासिल की है. सीपीआईएमएल ने दो सीटों पर जीत हासिल की है. काराकाट और आरा लोकसभा सीट सीपीआईएमएल खाते में गई है. महागठबंधन की इस जीत से उनके समर्थकों में नया जोश और उत्साह देखने को मिल रहा है।
राजद का खुला खाता, चार सीट पर शानदार जीतः
औरंगाबाद में लालू यादव का प्रयोग सफल रहाः यहां पिछले तीन चुनाव से जीत रहे भाजपा उम्मीदवार सुशील कुमार सिंह को राष्ट्रीय जनता दल उम्मीदवार अभय कुशवाहा ने पटकनी दी है. औरंगाबाद लोकसभा सीट पर लालू प्रसाद यादव ने कुशवाहा जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतार कर एक प्रयोग किया था और वह प्रयोग में सफल रहा. ज्यादातर कुशवाहा वोटर राष्ट्रीय जनता दल के पक्ष में मतदान किया. इसके अलावा दलित वोट भी महागठबंधन को मिले. भाजपा उम्मीदवार सुशील सिंह के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भी था, जिसका फायदा महागठबंधन को हुआ।
बक्सर लोकसभा सीटः बक्सर लोकसभा सीट पर भी राष्ट्रीय जनता दल को जीत हासिल हुई. ब्राह्मण बहुल लोकसभा सीट पर दूसरी बार राष्ट्रीय जनता दल ने भाजपा को पटकनी दी. इसके पहले जगदानंद सिंह ने लाल मुनी चौबे को हराया था. इस बार जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह ने मिथिलेश तिवारी को हराया. बक्सर लोकसभा सीट पर भाजपा में जबरदस्त अन्तर्कलह था. पार्टी के नेता कई गुटों में बंट गए थे. आईपीएस आनंद मिश्रा ने भाजपा का खेल बिगाड़ दिया. भाजपा को अश्विनी चौबे के विरोध का भी खामियाजा भुगतना पड़ा।
जहानाबाद लोकसभा सीटः राष्ट्रीय जनता दल के विधायक सुरेंद्र यादव ने बड़े मतों के अंतर से जदयू के उम्मीदवार चंदेश्वर चंद्रवंशी को चुनाव में हराया. भूमिहार जाति के लोग इस बात से नाराज थे कि एनडीए भूमिहार बहुल लोकसभा क्षेत्र में अति पिछड़ा समुदाय के नेता को उम्मीदवार बना दिया है. अगर वह इस बार जीते तो स्थाई तौर पर जहानाबाद को अति पिछड़ा सीट घोषित कर दिया जाएगा. नीतीश कुमार ने भूमिहार वोटरों को मनाने की कोशिश भी की और कहा था कि अगली बार भूमिहार जाति के नेता को उम्मीदवार बनाएंगे. लेकिन यह दांव भी काम नहीं आया. चंदेश्वर चंद्रवंशी चुनाव हार गए।
पाटलिपुत्र लोकसभा सीटः लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती तीसरी बार चुनाव के मैदान में थी. पाटलिपुत्र की जनता ने उन्हें सांसद बनाया. दरअसल पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर यादव वोटर सबसे अधिक हैं. अगर भाजपा 30% से अधिक वोटो में सेंधमारी नहीं करती है तो वैसे स्थिति में भाजपा के लिए जीते मुश्किल है. इस बार कुशवाहा वोटर भी भाजपा से छिटक गए और उनका समर्थन पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल को मिला. परिसीमन के बाद पहली बार लालू प्रसाद यादव के परिवार से कोई चुनाव जीता।
किशनगंज लोकसभा सीट: कांग्रेस पार्टी ने अपने सबसे मजबूत किले को बचा लिया. किशनगंज लोकसभा सीट फिर से कांग्रेस ने जीत हासिल की. मोहम्मद जावेद सांसद चुने गए. इस बार वहां त्रिकोणात्मक मुकाबला था. असदुद्दीन ओवैसी और जदयू के मुजाहिद आलम वहां खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए. अल्पसंख्यक वोटों का ज्यादा हिस्सा कांग्रेस के पक्ष में चला गया. असदुद्दीन ओवैसी किशनगंज में वोटों के ध्रुवीकरण में कामयाब नहीं हुए।
कटिहार लोकसभा सीटः जदयू को यहां बड़ा झटका लगा. निवर्तमान सांसद दुलालचंद गोस्वामी चुनाव हार गए. कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार तारिक अनवर से दुलालचंद गोस्वामी का सीधा मुकाबला था. आमने-सामने की लड़ाई में मुसलमान वोटरों ने आक्रामक वोटिंग की. अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले दुलालचंद गोस्वामी चुनाव हार गए. कटिहार लोकसभा सीट पर मुसलमान आबादी सबसे अधिक है।
सासाराम लोकसभा सीटः कांग्रेस ने मनोज कुमार को मैदान में उतरा. उनका मुकाबला भाजपा के शिवेश राम से था. यहां भी कुशवाहा वोटर निर्णायक साबित हुए. ज्यादातर कुशवाहा वोट कांग्रेस पार्टी के साथ चली गई. नतीजतन भाजपा के शिवेश राम वहां चुनाव हार गए. सुरेश राम पहली बार सासाराम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे. शिवेश राम के पिता मुनी लाल राम मोहन से सांसद रह चुके थे, लेकिन पिता की राजनीतिक विरासत को वह आगे नहीं बढ़ा पाए।
सीपीआईएमएल ने भी शानदार प्रदर्शन किया, दो सीटों पर हासिल की जीतः
काराकाट लोकसभा सीटः इस सीट की चर्चा देश भर में हो रही थी. भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह भी यहां से चुनाव के मैदान में थे. एनडीए ने उपेंद्र कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया था. पवन सिंह, उपेंद्र कुशवाहा के हार का कारण बने. हालांकि वह दूसरे स्थान पर रहे. उपेंद्र कुशवाहा को तीसरा स्थान हासिल हुआ. राजपूत वोट का ज्यादातर हिस्सा पवन सिंह के खाते में चला गया. इसके अलावा कई अन्य जाति के लोगों ने भी पवन सिंह को समर्थन दिया. कुशवाहा वोट सीपीआईएमल उम्मीदवार राजा राम कुशवाहा के पक्ष में इंटैक्ट रहा, जिसका नतीजा हुआ कि राजा राम बाजी मार ले गए।
आरा लोकसभा सीटः यहां भी सीपीआईएमएलए ने शानदार प्रदर्शन किया. केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को धूल चटा दी. पार्टी ने अपने विधायक सुदामा प्रसाद को मैदान में उतारा था. आरके सिंह के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भी था. जनता से इंटरेक्ट नहीं होना बीजेपी के लिए हार का कारण बना. पवन सिंह फैक्टर यहां भी प्रभावी रहा. कहा जा रहा है कि पवन सिंह के उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ खड़ा होने के कारण कुशवाहा वोटरों ने भाजपा से दूरी बना ली।
क्या कहते हैं पार्टी प्रवक्ताः राष्ट्रीय जनता दल प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि महागठबंधन ने इस बार शानदार प्रदर्शन किया है और एनडीए नेताओं के दावों की हवा निकल गई. हम इस बार 9 लोकसभा सीट जीतने में कामयाब हुए हैं. तेजस्वी यादव के काम और लालू प्रसाद यादव के मार्गदर्शन की बदौलत हमने बेहतर प्रदर्शन किया है. भाजपा प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने कहा है कि एनडीए का प्रदर्शन बेहतर रहा है. भले ही कुछ सीटों पर हम हारे हैं, इसकी समीक्षा होगी. भाजपा और जदयू ने ज्यादातर सीटों पर जीत हासिल की है जनता ने नरेंद्र मोदी के पक्ष में मतदान किया है. कुछ उम्मीदवारों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी था।