केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आरजी कर बलात्कार-हत्या मामले में जांच रिपोर्ट में गंभीर खामियां पाई हैं।
सूत्रों ने बताया कि पहली चूक तब पकड़ी गई जब मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट में कहा गया कि उन्हें पीड़िता के शव की जांच के लिए केवल 20 मिनट का समय मिला। यह समय मामले की गंभीरता को देखते हुए असामान्य रूप से कम है।
कानूनी शब्दों में, जांच रिपोर्ट एक दस्तावेज है जो पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट द्वारा तब बनाया जाता है जब कोई व्यक्ति अचानक, अनजाने में या हिंसक तरीके से मरता है। इसमें मृतक की पहचान, उसकी मौत का कारण तथा यह पता लगाने के लिए तैयार किया जाता है कि क्या मौत अप्राकृतिक या संदिग्ध थी।
सूत्रों ने बताया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट को पीड़िता के शव की जांच के लिए बहुत कम समय दिया गया था। जांच अधिकारियों का मानना है कि जांच रिपोर्ट तैयार करने में भी जल्दबाजी की गई। इसके अलावा, पोस्टमार्टम प्रक्रिया को केवल 70 मिनट में पूरा कर लिया गया, जिससे जांच में अनियमितताओं की आशंका है।
सूत्रों ने बताया कि अधिकारियों ने दूसरी बड़ी लापरवाही यह पाई कि जांच रिपोर्ट में पीड़िता के शरीर पर लगे घावों के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी गई।
साथ ही, जांच अधिकारियों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट और शहर पुलिस की जब्ती सूची में बड़े विरोधाभासों की पहचान की है। यह तब सामने आए जब केंद्रीय एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जांच का जिम्मा संभाला। इससे पता चलता है कि शुरुआती जांच में अनियमितताएं हुईं हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, महिला डॉक्टर 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सेमिनार हॉल में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाई गई थी। इस मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।