आपने वो हिंदी कहावत तो सुनी ही होगी – जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय! अब जिसका ज़िंदा रहना नियति में लिखा है, वो इतनी आसानी से तो मर नहीं सकता. चाहे ये कोई इंसान हो या फिर जानवर. कुछ ऐसा ही हुआ एक मुर्गे के साथ, जिसे उसके मालिक ने मीट बेचने के लिए काट दिया था, लेकिन वो बिना सिर के भी ज़िंदा रह गया. सुनकर ये किसी चमत्कार से कम नहीं लगेगा लेकिन इस अजीबोगरीब मौत की चर्चा खूब हुई.
जो लोग मुर्गे का मीट खाने के शौकीन हैं, आज उन्हें एक ऐसे मुर्गे की कहानी सुनाएंगे, जो मारा तो गया था मीट बनाने के लिए, लेकिन उसके साथ जो हुआ वो मिरेकल बनकर रह गया. मुर्गे का सिर काटा तो गया लेकिन इसके बाद भी वो मरा नहीं और दूसरे मरे हुए मुर्गों के बीच पैर से ज़मीन की धूल उड़ा रहा था. खुद उसका मालिक भी ये नज़ारा देखकर दंग रह गया. ऐसा नहीं है कि कहानी इतने पर ही खत्म हो गई, दरअसल ये एक अलग ही घटना की शुरुआत थी.
18 महीने तक बिना सिर से जिया मुर्गा
डेली स्टार के मुताबिक ये मामला अमेरिका के कोलोरेडो का है, जहां लॉयड ओल्सेन और क्लारा नाम का एक कपल रहता था. एक बार उन्होंने मीट के लिए कुल 50 जानवरों को मारा लेकिन वे ये देखकर हैरान रह गए कि इनमें से एक अभी भी ज़िंदा और एक्टिव था. उन्होंने बिना सिर के इस मुर्गे को सेब के एक बॉक्स में रातभर के लिए रख दिया. उन्हें लगा कि वो इतनी देर में तो मर ही जाएगा. जब उन्होंने अगले दिन बॉक्स खोला तो मुर्गा अब भी ज़िंदा था. दिलचस्प बात ये है कि वो बिना सिर के कोई 2-4 हफ्ते नहीं बल्कि कुल 18 महीने तक ज़िंदा रहा. उसे देखने के लिए एक शख्स 300 मील से आया और उसने चिकन पर स्लाइडशो बनाकर पैसे भी कमाए.
माइक के नाम से मशहूर हुआ मुर्गा
ये घटना 10 सितंबर, 1945 को हुई थी, जिसके बारे में कपल के परपोते ने बात की. उसने बताया कि उस वक्त Life Magazine की ओर से बिना सिर के इस मुर्गे पर स्टोरी भी की गई थी, जिसका नाम माइक रखा गया था. ओल्सेन कपल मुर्गे को दिखाने के लिए जगह-जगह ले गए और उन्हें इस टुअर से पैसे भी मिले. कुल 18 महीने तक ऐसा चलता रहा और आखिरकार एरिज़ोना दौरे के वक्त 1947 में मुर्गे की मौत हो गई. दरअसल सिर नहीं होने की वजह से कपल उसे सीधे फूड पाइप से दाना खिलाता था. एक दिन उसका खाना गले में फंस गया और उसकी मौत हो गई. ये इतिहास की अनोखी घटना है, जिसमें कोई मुर्गा बिना सिर से इतने महीनों तक जिया हो.