ग्रामीण विकास मंत्री अशोक चौधरी की ओर से भूमिहार जाति के बारे में की गई एक टिप्पणी से जदयू में घमासान है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने इसके लिए चौधरी के विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की मांग की है।
चौधरी ने तीन दिन पहले जहानाबाद में आयोजित पार्टी की एक बैठक में कहा था कि लोकसभा चुनाव में भूमिहारों के बड़े हिस्से ने जदयू उम्मीदवार चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी को वोट नहीं दिया। इसके कारण चंद्रवंशी की हार हो गई। कहा कि भूमिहार समाज वोट देते समय दल के बदले अपनी जाति को प्राथमिकता देता है। यह अच्छी प्रवृति नहीं है।
नीरज ने कहा कि चौधरी ने जाति विशेष के प्रति अपमानजक टिप्पणी के लिए जदयू के मंच का उपयोग किया। प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा को देखना चाहिए कि यह अनुशासन के दायरे में आता है या नहीं। क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजनीति में कभी जाति का उपयोग नहीं किया।
ऐसा रहता तो नीतीश कुमार बाढ़ के बदले नालंदा से लोकसभा का पहला चुनाव लड़ते। बिना सभी जातियों के सहयोग से इस राज्य में कोई आदमी वार्ड का भी चुनाव नहीं जीत सकता है। जदयू की चुनावी सफलता सभी जातियों के सहयोग की देन है।
उन्होंने कहा-कोई भी जो नीतीश कुमार को अपना नेता मानेगा, जाति की बात कभी नहीं करेगा। नीरज ने अशोक चौधरी को पार्टी में नवांतुक बताया।कहा कि हमलोग शुरुआत से ही पार्टी से जुड़े रहे हैं। उन्होंने चौधरी पर तंज किया-वे (अशोक चौधरी) लालू-राबड़ी की सरकार में जेल मंत्री रहे हैं।इस नाते जेल भी गए होंगे। जेल जाने वाले का राजनीतिक ज्ञान बहुत बढ़ जाता है। चौधरी लोकसभा चुनाव में कटिहार के प्रभारी थे। उन्हें बताना चाहिए कि वहां 40 हजार वोटों के अंतर से जदयू उम्मीदवार की हार कैसे हुई।
जदयू के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि अशोक चौधरी किस हैसियत से किसी को चुनावी टिकट देने का आश्वासन दे रहे हैं। वह तो स्चयं टिकट मांगने जाते हैं। हम आग्रह करते हैं कि पार्टी का कोई नेता अपनी पारिवारिक राजनीति को खाद पानी देने के लिए जदयू के मंच का उपयोग न करें।