पूर्णिया: लोकसभा चुनाव के दौरान पूरे देश की निगाहें पूर्णिया सीट पर टिकी थी, जिस वजह से पूर्णिया हॉट सीट बना हुआ था. आखिरकार निर्दलीय पप्पू यादव ने पूर्णिया को फतह किया. वहीं, अब ठीक एक महीने बाद पप्पू यादव से दो-दो हाथ करने वाली राष्ट्रीय जनता दल की नेता बीमा भारती जब रुपौली उपचुनाव में उम्मीदवार बनीं तो सियासी समीकरण भी बदल गया. बीमा को जहां पप्पू का साथ मिला, वहीं चिराग पासवान की पार्टी के नेता शंकर सिंह ने बगावत कर निर्दलीय ताल ठोक दिया।
रुपौली उपचुनाव के लिए मतगणना: आज रुपौली विधानसभा उपचुनाव के नतीजे का दिन है. आरजेडी की बीमा भारती के लिए जहां अपनी सीट बचाने की चुनौती है, वहीं जेडीयू के कलाधर मंडल की जीत के साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ये साबित करेंगे कि रुपौली में 24 सालों से जीत उनकी वजह से मिलती थी, न कि बीमा भारती या उसके पति अवधेश मंडल के दबदबा के कारण. वहीं, पूर्व विधायक शंकर सिंह को भी ये साबित करना है कि इलाके में उनकी धमक आज भी बरकरार है और उनको टिकट न देकर चिराग ने गलती की है।
इस चुनाव से बीमा भारती के साथ-साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी ‘अग्निपरीक्षा’ है, क्योंकि रुपौली में अति पिछड़ा बैंक ही चुनाव के नतीजे को तय करते हैं. आपको याद दिलाएं कि जेडीयू विधायक रहते हुए बीमा भारती ने लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी और विधायकी से इस्तीफा दे दिया था. बीमा भारती राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर महागठबंधन की ओर से उम्मीदवार थीं. पप्पू यादव ने जेडीयू उम्मीदवार संतोष कुशवाहा को जहां दूसरे स्थान पर धकेल दिया, वहीं बीमा भारती अपनी जमानत भी नहीं बचा सकीं।
तेजस्वी के साथ आए पप्पू यादव: लोकसभा चुनाव में रुपौली विधानसभा क्षेत्र में संतोष कुशवाहा को 97469 वोट मिले थे, जबकि पप्पू यादव को 72795 वोट मिले थे. वहीं बीमा भारती तीसरे स्थान पर रहीं थीं. रुपौली उपचुनाव में तेजस्वी यादव को पप्पू यादव की ताकत का एहसास हुआ और गिले-शिकवे भूलकर रुपौली विधानसभा उपचुनाव में पप्पू यादव से हाथ मिला लिया. उपचुनाव में पप्पू ने बीमा भारती को समर्थन देने का ऐलान किया. सूत्र बताते हैं कि राहुल गांधी के दबाव में पप्पू यादव ने बीमा भारती को समर्थन दिया।
ईबीसी वोट बैंक पर किसका दावा?: जेडीयू कैंडिडेट कलाधर मंडल और बीमा भारती दोनों गंगौता जाति से आते हैं. वहीं, बाहुबली शंकर सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है. वह दोनों गठबंधन को चुनौती दे रहे हैं. रुपौली विधानसभा उपचुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक ओर जहां तेजस्वी और पप्पू यादव की ‘दोस्ती’ का लिटमस टेस्ट होगा तो वहीं, दूसरी तरफ यह भी तय हो जाएगा कि नीतीश कुमार की अति पिछड़ों के बीच ताकत बरकरार है या नहीं?
क्या कहते हैं जानकार?: राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि रुपौली का मुकाबला बेहद दिलचस्प है. त्रिकोणीय लड़ाई में कोई भी बाजी मार सकता है. उपचुनाव के नतीजे विधानसभा चुनाव को लेकर महत्वपूर्ण होंगे. राजनीतिक दल नतीजे के आधार पर ही आगे की रणनीति बनाएंगे।