भारतीय मुद्रा रुपया एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक गिरावट के साथ बंद हुआ है. 1 नवंबर 2023 को रुपया 9 पैसे गिरकर 83.33 के अब तक के निचले स्तर पर बंद हुआ. अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी और डॉलर के मुकाबले अन्य एशियाई मुद्राओं में कमजोरी के कारण रुपया कमजोर हुआ है. इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में डॉलर के मुकाबले रुपया 83.29 पर बंद हुआ था, जो ऐतिहासिक निचला स्तर था विदेशी निवेशक शेयर बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं और इजराइल-हमास युद्ध के कारण वैश्विक राजनीतिक संकट गहरा गया है.
जिसके कारण कमोडिटी की कीमतों में तेजी देखी जा रही है. कच्चे तेल की कीमत पर भी असर पड़ा है जिससे डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हुआ है. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अक्टूबर महीने में भारतीय इक्विटी बाजार में 25,575 रुपये के शेयर बेचे हैं. तो ब्रेंट क्रूड 1.34 फीसदी की बढ़त के साथ 86.16 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है.
बुधवार को मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 83.26 पर खुला और कमजोर होकर 83.35 के निचले स्तर पर आ गया. विनिमय बाज़ारों के बंद होने पर, रुपया अपने ऐतिहासिक निचले स्तर 83.33 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। मंगलवार, 31 अक्टूबर 2023 को रुपया एक डॉलर के मुकाबले 83.24 पर बंद हुआ था.
अगर डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी रहा तो भारत के लिए आयात महंगा हो सकता है. सरकारी स्वामित्व वाली तेल कंपनियों को पेट्रोलियम उत्पादों के आयात के लिए अधिक पैसे खर्च करने होंगे, जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का आयात भी महंगा हो सकता है. भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेल और दालों का भी आयात करता है.
ऐसे में खाद्य तेल और दालों का आयात महंगा हो सकता है देश में त्योहारी सीजन है और सोने की मांग बढ़ती जा रही है. भारत अपनी खपत के लिए सोने के आयात पर निर्भर है. डॉलर की मजबूती और रुपये में कमजोरी के चलते सोने का आयात महंगा होगा, जिससे त्योहारी मांग पर असर पड़ सकता है.